पश्चिम बंगाल से उत्तराखंड में लाकर नकली नोटों की सप्लाई के मामले में पुलिस लगातार आरोपियों की गिरफ्तारी कर रही है. नकली नोट चलाने वाले गिरोह के सरगना शुभम वर्मा के बैंक खाते का इस्तेमाल ऑनलाइन गेमिंग से जुटाए जा रही रकम को क्रिप्टो करेंसी में बदलने के लिए किया जा रहा था.
इस खेल में शामिल तीन युवकों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. अब तक नकली नोट प्रकरण में मामले में मुख्य आरोपी सहित 11 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. लालकुआं निवासी सर्राफ शुभम वर्मा को बीती 9 अक्टूबर को नौ हजार रुपये के जाली नोटों के साथ गिरफ्तार किया गया था. बाद में गिरोह के सात और लोगों को 3,46,500 रुपये से अधिक के जाली नोटों के साथ पकड़ा गया.
पुलिस ने मुख्य आरोपी शुभम वर्मा की करंट अकाउंट की जांच की, तो पता चला कि शुभम के अकाउंट की लिमिट दो करोड़ रुपये है. लेकिन पिछले कई महीनों से इस खाते में प्रत्येक महीने करीब एक करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन होता आ रहा था. रकम आने के दो-तीन दिन के भीतर ही निकाल ली जाती थी. संदिग्ध लेनदेन के कारण भारत सरकार की एजेंसी ने शुभम का अकाउंट ब्लॉक कर दिया था. बैंक प्रबंधक की तहरीर पर पुलिस ने आईटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू की. मामले में शुभम से पूछताछ हुई तो गेमिंग एप के माध्यम से जालसाजी का मामला सामने आया.
पुलिस को पूछताछ में पता लगा कि इस खाते से ऑनलाइन गेमिंग एप बाइनेंस और इंस्टाग्राम ग्रुप 99 ईसीएच के जरिये पैसों का निवेश कराया जा रहा है. इसके लिए लोगों को टेलीग्राम ग्रुप से जोड़ा जाता और फिर रुपयों को क्रिप्टो कैरेंसी में इंवेस्ट कराया जाता. शुभम के खाते की और जांच की गई तो बरेली के भोजीपुरा के गांव रम्पुरा माफी निवासी रेहान व शाकिर खान और राजस्थान के संदीप पंवार के नाम सामने आए. तीनों अपनी पहचान छिपाकर शुभम के खाते से ऑनलाइन गेमिंग एप के जरिए पैसा डालते थे.
इसके बाद उस रकम को क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से वापस लेते थे. पुलिस क्षेत्राधिकारी नितिन लोहनी ने बताया कि पुलिस तीनों को गिरफ्तार कर पूछताछ कर रही है. तीनों आरोपियों को 35(3) बीएनएस का नोटिस तामिल कराया गया है.