
प्राइवेट ट्यूशन क्लास की टीचर ने छात्रा की पिटाई इसलिए कर दी क्योंकि वह मौज-मस्ती कर रही थी. गंभीर रूप से घायल लड़की का इलाज एक प्राइवेट अस्पताल के आईसीयू में चल रहा है.





मुंबई के नालासोपारा में 10 साल की एक बच्ची को ट्यूशन टीचर द्वारा थप्पड़ मारे जाने के बाद गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती किया गया। टीचर ने बच्ची को शरारत करने पर थप्पड़ मारा, जिससे उसकी बालियों के कारण कान में चोट लग गई और संक्रमण हो गया। इलाज में देरी के कारण टेटनस का शक है, और बच्ची आईसीयू में बेहोश है। परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन टीचर की अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है।
महाराष्ट्र में पालघर के नालासोपारा की एक 10 साल की बच्ची वेंटिलेटर पर है. उसे गंभीर ब्रेन इंजरी हुई है. वह अपनी जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही है. उसकी ट्यूशन टीचर ने बच्ची के कान के पास दो बार इतना तेज झापड़ मारा कि उसकी हालत खराब हो गई. घटना 7 अक्टूबर की है लेकिन पीड़िता दीपिका को एक हफ्ते बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया. तब तक उसकी तबीयत बिगड़ने लगी थी.
पुलिस ने बताया है कि 20 साल की प्राइवेट ट्यूशन टीचर ने बच्ची को झापड़ मारा था. उनका कहना है कि बच्ची कक्षा में शरारत कर रही थी. झापड़ इतना तेज था कि बच्ची ने कान में जो बाली पहनी थी, वह उसके गाल में धंस गई. गंभीर ब्रेन इंजरी, जबड़े में दिक्कत, टिटनस इन्फेक्शन के चलते बच्ची को के.जे. सोमैया अस्पताल मुंबई में आईसीयू में भर्ती किया गया है. वह पिछले 9 दिनों से वेंटिलेटर पर है और उसकी हालत गंभीर बनी हुई है.
ट्यूशन टीचर द्वारा थप्पड़ मारे जाने से बच्ची के हॉस्पिटल में भर्ती होने की घटना एक गंभीर मामला है। ऐसे मामलों में शारीरिक हिंसा को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। अगर किसी छात्र को शिक्षक द्वारा चोट पहुंचाई जाती है, तो यह न सिर्फ नैतिक बल्कि कानूनी रूप से भी गलत है।
ऐसी घटनाओं में छात्र और उनके परिवार को तुरंत कानूनी सहायता लेनी चाहिए और शिक्षा विभाग या संबंधित अधिकारियों को शिकायत दर्ज करनी चाहिए। शिक्षा का उद्देश्य बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास करना है, न कि उन्हें शारीरिक रूप से हानि पहुंचाना।