
यूपी के प्रयागराज में क्राइमब्रांच और पुलिस की टीम ने अंतर्राज्यीय तस्करों से भारी मात्रा में गांजा बरामद किया था, लेकिन न्यायालय में यह कहानी बदल गई, और पता चला कि पूरा गांजा ही सड़ गया।





प्रयागराज के फूलपुर थाने के तत्कालीन थाना प्रभारी कुशल पाल यादव और क्राइमब्रांच के प्रभारी ओम शंकर शुक्ला की टीम ने 20 अप्रैल 2014 को सरैया तिराहे के पास से मिनी ट्रक और अल्टो कार से तस्करी के लिए जा रहे 7.80 क्विंटल गांजा बरामद किया था। पुलिस ने चार अंतराज्यीय तस्कारों को गिरफ्तार भी किया था। मामले में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल कर दी गई। दस साल चले मुकदमें के दौरान अभियोजन पक्ष से 11 गवाहों में से मात्र एक गवाही हो सकी थी। एनडीपीएस कोर्ट के विशेष न्यायाधीश भरत सिंह यादवकी कोर्ट ने पुलिस आयुक्त प्रयागराज को पत्र लिख कर सुबूत पेश करने को कहा था, लेकिन पांच महीने में पत्र का कोई भी जवाब नहीं मिला। इसके पहले कोर्ट को पुलिस की ओर से बताया गया कि बरामद किया गया गांजा मालखाने में रखरखाव के सही इंतजाम न होने के कारण सडक़र नष्ट हो गया। वहीं कोर्ट ने सुबूतों और गवाहों के अभाव में चार आरोपियों को बरी कर दिया। इसके अलावा कोर्ट ने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के भी आदेश दिए हैं।
दस साल पहले के एनडीपीएस के मामले में कोर्ट ने कहा कि मौजूदा हालत में इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है कि प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पुलिस द्वारा अभियुक्तों को लाभ पहुंचाया जा रहा है। यह हैरानी की बाद है कि बरामद 7.80 क्विंटल गांजे में से एक ग्राम भी कोर्ट में पेश नहीं किया जा सका। वहीं अभियोजन की ओर से पेश एक मात्र गवाह प्रभारी निरीक्षक कुशलपाल यादव की गवाही में भी छेद ही छेद थे। गवाही में बताया गया कि बरामद गांजे की तौल कांस्टेबल जितेंद्र कुमार द्वारा लाए गए तराजू से की गई थी, लेकिन जिरह में यह नहीं बता सके कि तराजू आई कहां से थी। इसके अलावा बारदात के दौरान बरामद मिनी ट्रक, अल्टो कार और स्कूटी किसकी थी, और अब वो वाहन कहां है, इसका भी कोई जवाब नहीं दिया जा सका। जिसपर शख्त कोर्ट ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया।