WFI से निलंबन हटा, विनेश फोगाट ने किया विरोध – बोलीं, ‘हमारी लड़ाई जारी रहेगी’

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नई दिल्ली: करीब 26 महीने बाद खेल मंत्रालय ने भारतीय कुश्ती संघ (WFI) का निलंबन हटा दिया, जिससे विभिन्न कुश्ती प्रतियोगिताओं के आयोजन का रास्ता साफ हो गया। अब चुने गए पदाधिकारी ही संघ की कमान संभालेंगे। हालांकि, इस फैसले का कांग्रेस विधायक और ओलंपियन विनेश फोगाट ने विरोध किया और महासंघों में हो रही अनियमितताओं पर मीडिया से कड़ा रुख अपनाने की अपील की।

विनेश फोगाट का कड़ा बयान

विश्व चैंपियन और पदक विजेता विनेश फोगाट ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से कहा,
“यह पूरी तरह गलत है। हमारे देश में खेलों की हालत पहले ही खराब है, और अब महासंघों को गुंडों और अपराधियों के हवाले किया जा रहा है।”

विनेश ने साफ कहा कि वे WFI के खिलाफ अपनी लड़ाई से पीछे नहीं हटेंगी। उन्होंने कहा,
“ये लोग खुलेआम अपनी सत्ता का प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन हम सही के लिए लड़ते रहेंगे। हमारा संघर्ष सच्चाई और ईमानदारी के लिए है, और हम इसे जारी रखेंगे।”

खेल मंत्री ने क्या कहा?

खेल मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने स्पष्ट किया कि मंत्रालय ने उच्च न्यायालय के आदेश के बाद WFI को बहाल करने का फैसला लिया है। इससे संघ को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट आयोजित करने और राष्ट्रीय टीमों के चयन की अनुमति मिल गई है। इससे भारतीय पहलवान एशियाई और विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा ले सकेंगे।

WFI पर निलंबन क्यों लगा था?

खेल मंत्रालय ने संजय सिंह के नेतृत्व वाले WFI को निलंबित कर दिया था, क्योंकि अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में खिलाड़ियों के चयन में गड़बड़ी हुई थी। इसके बाद भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) को WFI के संचालन की जिम्मेदारी दी गई थी।

WFI से विनेश फोगाट का विवाद

विनेश, बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक का WFI से विवाद लंबे समय से चल रहा है। उन्होंने पूर्व अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। मौजूदा अध्यक्ष संजय सिंह बृज भूषण के करीबी माने जाते हैं, जिसके कारण यह विरोध और तेज हो गया है।

विनेश फोगाट अब कांग्रेस विधायक

पहलवानी छोड़ विनेश फोगाट राजनीति में आ चुकी हैं। उन्होंने हरियाणा की जुलाना सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और 5,961 वोटों से जीत दर्ज की। पेरिस ओलंपिक में डिस्क्वालीफाई होने के बाद उन्होंने कुश्ती से संन्यास ले लिया था और कांग्रेस में शामिल हो गई थीं।

WFI की बहाली के बाद एक बार फिर भारतीय कुश्ती राजनीति के केंद्र में आ गई है, और यह लड़ाई अभी खत्म होती नहीं दिख रही।

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