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संशोधित अधिवक्ता अधिनियम के विरोध में जिला न्यायालय में अधिवक्ताओं का आंदोलन लगातार दूसरे दिन भी जारी रहा। वकीलों ने न्यायिक कार्यों से विरत रहते हुए धरना प्रदर्शन किया और सरकार से बिल को वापस लेने की मांग की। बार एसोसिएशन ने 22 फरवरी को भी न्यायिक कार्यों में भाग न लेने का निर्णय लिया है।

न्यायालय परिसर में विरोध प्रदर्शन

शुक्रवार को जिला न्यायालय परिसर में अधिवक्ताओं ने संशोधित बिल के खिलाफ आक्रोश जताते हुए जोरदार नारेबाजी की। जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दिवाकर पांडे और सचिव सर्वेश कुमार सिंह ने बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड के सम्मेलन में भी इस बिल के खिलाफ आपत्ति दर्ज कराई।

विरोध प्रदर्शन में पावेल कठायत, सर्वजीत सिंह, धर्मेंद्र शर्मा, संजीत बढ़ई, सुशीला मेहता, मुकेश मिश्रा, जावेद आलम, अमनदीप कौर सहित कई अधिवक्ता शामिल रहे।

काशीपुर में भी वकीलों का उग्र प्रदर्शन

काशीपुर में भी वकीलों ने न्यायालय और तहसील परिसर में लगातार दूसरे दिन विरोध प्रदर्शन किया। धरनास्थल पर अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार मिश्रा ने कहा कि यह बिल अधिवक्ताओं के अधिकारों पर सीधा हमला है और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।

बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अवधेश चौबे ने कहा कि यदि यह विधेयक लागू हुआ तो वकील किसी अपराधी या प्रभावशाली व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा लड़ने में संकोच करेंगे, जिससे न्याय व्यवस्था प्रभावित होगी।

प्रदर्शन में अनूप शर्मा, नृपेंद्र चौधरी, सूरज कुमार, सौरभ शर्मा, हिमांशु बिश्नोई, सतपाल सिंह बल, दुष्यंत चौहान, कामिनी श्रीवास्तव समेत कई अधिवक्ता शामिल रहे।

अधिवक्ताओं की प्रमुख मांगें:

  • संशोधित अधिवक्ता अधिनियम को तत्काल वापस लिया जाए।
  • वकीलों के अधिकारों और सुरक्षा की गारंटी दी जाए।
  • न्यायिक प्रक्रिया में अधिवक्ताओं की भूमिका कमजोर करने वाले प्रावधान हटाए जाएं।
  • फिलहाल, अधिवक्ताओं ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।

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