*गृह मंत्रालय का राज्यों को निर्देश, जाति-धर्म के आधार पर कैदियों को अलग नहीं किया जाए…*

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भारत विविधताओं का देश है, यहाँ पर सभी धर्म के लोग अपनी अपनी पद्धति से पूजा करते हैं. भारत देश की यही खूबसूरती है. भारत के संविधान के मुताबिक, देश में धर्म, नस्ल, जाति या जन्म स्थान के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव नहीं होना चाहिए. लेकिन यहाँ पर जाति और धर्म के…

केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से कहा कि कैदियों को उनकी जाति और धर्म के आधार पर अलग नहीं किया जाए। उन्हें जेल की रसोई का काम संभालने जैसे काम देने में इस आधार पर भेदभाव बंद होना चाहिए। गृह मंत्रालय ने बताया कि कुछ राज्यों के जेल ‘मैनुअल’ में कैदियों को उनकी जाति और धर्म के आधार पर अलग-अलग रखने का जिक्र है। उन्हें जेल में उसी आधार पर काम सौंपे जा रहे हैं। इसी को लेकर अब गृह मंत्रालय ने निर्देश जारी किया है।

गृह मंत्रालय ने कैदियों के मामले में क्या कहा

गृह मंत्रालय की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया कि भारत का संविधान धर्म, नस्ल, जाति या जन्म स्थान के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव पर रोक लगाता है। गृह मंत्रालय की ओर से तैयार और मई 2016 में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को वितरित किए गए मॉडल जेल मैनुअल, 2016 में भी इसका जिक्र है। इसमें जेल की रसोई के प्रबंधन या भोजन पकाने में कैदियों के साथ जाति और धर्म-आधारित भेदभाव को स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित किया गया है।

जेल मैनुअल का किया जिक्र

इसमें कहा गया है कि जेल मैनुअल में यह भी उल्लेख है कि किसी जाति या धर्म विशेष के कैदियों के समूह के साथ विशेष व्यवहार पर सख्त पाबंदी है। गृह मंत्रालय ने कहा कि अगर ऐसा कोई प्रावधान है तो मैनुअल या कानून से भेदभाव वाले प्रावधानों को हटाने या संशोधन के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए। इससे पहले ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा था।

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