कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में छात्राओं से मारपीट का आरोप, वार्डन हटाई गई, जांच जारी..
देहरादून/चकराता: देहरादून जिले के कोरूवा गांव स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में छात्राओं के साथ मारपीट का गंभीर मामला सामने आया है। छात्राओं ने आरोप लगाया है कि छात्रावास की वार्डन दीपमाला भारती रावत ने 23 अप्रैल को उनकी बेरहमी से पिटाई की, जिससे कई छात्राएं बुरी तरह डर गईं और रोने लगीं।
वारदात की जानकारी पर जब अभिभावक शुक्रवार को विद्यालय पहुंचे, तो छात्राएं उनसे लिपटकर रोने लगीं और आपबीती सुनाई। इस घटना से गुस्साए परिजनों और छात्राओं ने वार्डन की गिरफ्तारी की मांग करते हुए कालसी-चकराता मोटर मार्ग पर कोरूवा के पास धरना प्रदर्शन किया।
प्रशासन मौके पर पहुंचा, छात्राएं सड़क पर बैठीं रहीं
सूचना पर चकराता थाना पुलिस और नायब तहसीलदार मनोहर लाल अंजुवाल मौके पर पहुंचे और समझाने की कोशिश की, लेकिन छात्राएं और अभिभावक सड़क पर ही डटे रहे। बाद में सीओ विकासनगर भास्कर लाल शाह ने मौके पर पहुंचकर सभी को समझाया और धरना समाप्त करवाया।
छात्राओं ने बताया कि वार्डन अक्सर मारपीट करती हैं, साफ-सफाई करवाती हैं, और बुनियादी सुविधाएं भी नहीं देतीं। छात्राओं के शरीर पर नीले निशान देखे गए, जिन्हें मेडिकल परीक्षण के लिए चकराता अस्पताल भेजा गया।
अभिभावकों की मांग – हो सख्त कार्रवाई
अभिभावक श्रीचंद तोमर ने कहा, “हमने बच्चों को पढ़ने भेजा है, मार खाने नहीं। वार्डन के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।” वहीं अभिभावक प्रदीप ठाकुर ने कहा, “मेरी भांजी के पैरों पर डंडे के गहरे निशान हैं। अफसोस है कि अभी तक कार्रवाई नहीं हुई।”
प्रशासन और शिक्षा विभाग ने की कार्रवाई, जांच जारी
शिक्षा विभाग के जांच अधिकारी जगदीश सिंह सजवाण ने बताया कि “प्रथम दृष्टया छात्राओं के आरोप सही पाए गए हैं। जांच जारी है और रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को सौंपी जाएगी। वार्डन को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है।”
सीओ भास्कर लाल शाह ने कहा कि तहरीर मिलने पर पुलिस कार्रवाई करेगी। फिलहाल विभागीय स्तर पर जांच और कार्रवाई की जा रही है।
वार्डन ने खारिज किए आरोप
वार्डन दीपमाला भारती रावत ने सभी आरोपों को नकारते हुए कहा कि “मैं 2021 से यहां काम कर रही हूं, छात्राओं को अपने बच्चों की तरह रखा है। मेरी छवि खराब की जा रही है।”
हालांकि छात्राओं का आरोप है कि वार्डन मारपीट के दौरान सीसीटीवी कैमरे तक बंद करवा देती थीं, और जरूरी चीजें जैसे सैनिटरी पैड या पेन तक नहीं दिए जाते।