
अपनी मांगों को लेकर किसानों का दिल्ली चलो आंदोलन जारी है, वहीं हरियाणा पंजाब के शंभू बॉर्डर पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद तनातनी की स्थिति बनी हुई है। जहां दिल्ली कूच करने के लिए किसान ट्रैक्टर के साथ पहुंच रहे हैं। वहीं, पुलिस प्रशासन सुरक्षा स्थिति को लेकर मुस्तैद बनी हुई है। हालांकि, किसानों ने शंभू बॉर्डर पर हरियाणा में घुसने का प्रयास किया। इसके बाद पुलिस और किसानों की झड़प देखने को मिली।





हालात ये है कि शंभू बॉर्डर पर चारों तरफ धुआं धुआं ही दिख रहा है। पुलिस ड्रोन के जरिए आंसू गैस के गोले छोड़ रही है। वहीं, किसानों की ओर से भी पथराव किया जा रहा है।
किसानों के दिल्ली चलो मार्च को देखते हुए प्रशासन ने दिल्ली के सभी बॉर्डर्स को सील कर दिया है। सीमा पर अर्धसैनिक बल के जवान तैनात हैं। किसान सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी वाला कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा मनरेगा के तहत प्रति वर्ष 200 दिन का रोजगार और 700 रुपये की दैनिक मजदूरी प्रदान करने अपील की है।
MSP पर सरकार का बयान
किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि कुछ तत्व किसानों को बदनाम करने और राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर सकते हैं. उन्होंने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई से कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून जल्दबाजी में नहीं लाया जा सकता है. हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श की आवश्यकता है.
अंबाला में 7 जवान घायल
अंबाला की प्रिंसिपल मेडिकल ऑफिसर संगीता गोयल ने कहा कि हमारे पास 7 जवानों के घायल होने की सूचना आयी है, जिसमें चार हरियाणा पुलिस के जवान हैं और 3 जवान RAF के हैं. फिलहाल सभी जवान सुरक्षित हैं. हमारी टीम पूरी तरह तैयार है.
शंभू बॉर्डर का हाल
हरियाणा-पंजाब के शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने वाटर कैनन का इस्तेमाल किया.
क्या हैं किसानों की मांग??
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी
- सभी फ़सलों को MSP के दायरे में लाना
- MSP से कम कीमत पर फ़सल खरीद को अपराध घोषित करना
- MSP पर कानून बनाना
- मनरेगा के तहत सालाना 200 दिन का रोज़गार, दैनिक मज़दूरी 700 रुपये, और योजना को खेती से जोड़ना
- नकली बीज, कीटनाशक, और उर्वरक बनाने वाली कंपनियों पर सख़्त दंड और जुर्माना
- बीज की गुणवत्ता में सुधार
- मिर्च और हल्दी जैसे मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन
- किसानों और 58 साल से ज़्यादा उम्र के खेतिहर मज़दूरों के लिए हर महीने पेंशन देने की योजना लागू करना
- दिल्ली आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को मुआवज़ा देना और उनके परिवार के एक सदस्य को रोज़गार भी देना
- लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय मिलना