Uttarakhand” के रुड़की में अप्रशिक्षित कर्मचारी सादे पानी का प्रयोग कर रक्तचाप और मधुमेह की दवाई बना रहे थे बता दें की औषधि नियंत्रण विभाग की टीम बड़ा एक्शन लेते हुए छापा मारा और दवा उत्पादन पर रोक लगा दी..
आपको बता दें की रुड़की के मंगलौर में स्थित एक दवा कंपनी में मानकों की अनदेखी करने पर दवा उत्पादन पर रोक लगा दी गई है। औषधि नियंत्रण विभाग की टीम को जांच पड़ताल में पता चला कि अप्रशिक्षित कर्मचारी रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) और मधुमेह (डायबिटीज) की दवा बना रहे थे।
बिना वाटर प्यूरी फायर के सादे पानी का इस्तेमाल कर दवा बनाई जा रही थी। जिससे इन दवाओं की गुणवत्ता प्रभावित हो रही थी। फैक्ट्री प्रबंधन ने विभाग का नोटिस लेने से मना कर दिया हैं। वहीं, टीम से अभ्रदता भी की गई। औषधि नियंत्रण विभाग के ड्रग इंस्पेक्टर ने फैक्ट्री के लाइेंसस के निरस्तीकरण की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी है।
केंद्र और राज्य सरकार के निर्देश पर की जा रही जांच
केंद्र और राज्य सरकार के निर्देश पर दवाइयों की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए ड्रग विभाग और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की ओर से हरिद्वार जिले में स्थित फार्मा कंपनियों का निरीक्षण कर जांच की जा रही है। जांच के दौरान दवा कंपनियों में लगातार अनियमितताएं मिल रही हैं।
ऐसे में टीम की ओर से दवा कंपनियों के लाइसेंस सरेंडर कराने के साथ ही उत्पादों पर रोक लगाई जा रही है। इसी क्रम में गुरुवार को ड्रग इंस्पेक्टर अनीता भारती के नेतृत्व में टीम ने मंगलौर के मखयाली खुर्द में अब्दुल कलाम चौक के पास स्थित रिलीफ बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड की फैक्ट्री का निरीक्षण किया।
निरीक्षण के दौरान फैक्ट्री में साफ सफाई की कमी मिली। जांच में पता चला कि दवा फैक्ट्री में बनाई जा रही ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की दवाओं को बनाने वाले कर्मचारी प्रशिक्षित टेक्नीशियन नहीं थे। अप्रशिक्षित कर्मचारियों से दवा बनवाई जा रही थी। इसके अलावा दवा कंपनी में मानकों के अनुरूप कार्य नहीं हो रहा था। जिस पर औषधि नियंत्रण विभाग की टीम ने फैक्ट्री प्रबंधन को फटकार लगाई।
साथ ही दवा फैक्ट्री में दवा उत्पादन पर पूरी तरह से रोक लगा दी। फैक्ट्री में ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के अलावा एंटीबायोटेक और विटामिन की दवा बनाई जाती है। इस फैक्ट्री में बनाई गई दवा की जन औषधि केंद्रों व बिहार सरकार को भी सप्लाई की जाती है। बताया जा रहा है कि कंपनी का टर्नओवर 20 से 25 करोड़ रुपये के करीब है।
ड्रग इंस्पेक्टर अनीता भारती ने बताया कि फैक्ट्री में मानकों की अनदेखी कर दवाओं का उत्पादन किया जा रहा था। जिससे दवाओं की गुणवत्ता प्रभावित हो रही थी। इसे देखते हुए फैक्ट्री में दवा उत्पादन पर रोक लगाई गई है। साथ ही फैक्ट्री के लाइसेंस के निरस्तीकरण की रिपोर्ट मुख्यालय भेजी गई है। उन्होंने बताया कि आगे भी अन्य दवा कंपनियों में निरीक्षण किया जाएगा।