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देश के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के व्यक्तित्व पर बनी फिल्म शुक्रवार को रिलीज हो गई। जिसके बाद देशभर में सैम मानेकशॉ के नाम की खूब चर्चा हो रही है।

एक तरफ हर कोई सैम मानेकशॉ के जीवन के बारे में जानने को उतावला है तो वहीं देहरादून में उनसे जुड़ी एक निशानी मिटने के कगार पर है। यहां गढ़ी कैंट में एक स्कूल है, जिसकी नींव सैम मॉनेकशॉ ने रखी थी, यह स्कूल अब बंदी की कगार पर खड़ा है। गढ़ी कैंट में मुख्यमंत्री आवास के समीप स्थित 58 जीटीसी जूनियर हाईस्कूल की आधारशिला 11 अक्टूबर 1966 को इस्टर्न कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एसएचएफजे मानेकशॉ यानी सैम बहादुर ने रखी थी। उस वक्त ये स्कूल बहुत मशहूर था। दून में गोर्खा ट्रेनिंग सेंटर हुआ करता था। स्कूल में जवानों और अन्य कर्मियों के बच्चों को शिक्षा मिलती थी।

 

बाद में ट्रेनिंग सेंटर यहां से शिलांग शिफ्ट हो गया और स्कूल में छात्रों की संख्या घटने लगी। कभी यहां डेढ़ हजार बच्चे पढ़ा करते थे, लेकिन अब यहां महज 30 बच्चे ही बचे हैं। हाल ही में स्कूल प्रशासन को एक पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें अगले सत्र से दाखिले न करने को कहा गया है। स्कूल का भवन भी जर्जर हालत में है। अब सेना की ओर से भी स्कूल को बंद करने का फैसला लिया गया है। छात्रों व शिक्षकों की सुरक्षा के लिए ऐसा करना जरूरी था। शिक्षा विभाग ने तय किया है कि छात्रों को नजदीक के स्कूलों में शिफ्ट किया जाए। कक्षा छह से आठ तक के विद्यार्थियों को गोरखा मिलिट्री इंटर कालेज (200 मीटर दूर) और कक्षा एक से पांच तक के विद्यार्थियों को कैंट जूनियर हाई स्कूल (दो किमी दूर) ट्रांसफर करने का निर्णय लिया गया है।

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