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आजम खान के हाई प्रोफाइल मुकदमों पर शासन की पैनी निगाहें लगी हुई है. किसी तरह की कोई चूक न हो जाए इसके लिए लगातार सतर्कता बरती जा रही है. रामपुर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अशोक शुक्ला के विरुद्ध गृह विभाग उत्तरप्रदेश शासन ने जांच के आदेश दिए हैं. जालसाजी कर शत्रु संपत्ति का गबन करने के मामले में गंभीर धाराऐं हटाने व आजम खान का नाम निकालने हेतु विवेचक बदलने पर शासन ने जांच बैठा दी है.

रामपुर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अशोक शुक्ला के विरुद्ध जांच के लिए गृह विभाग ने एक उच्च स्तरीय कमेटी का भी गठन किया है, जिसमें वरिष्ठ आईएएस अधिकारी, मंडल आयुक्त, वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी, पुलिस महानिरीक्षक सतर्कता को जांच कर रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराने की आदेश दिए गए हैं.

दरअसल, मामला मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी परिसर के अंतर्गत आने वाली भूमि का है, जो इमामुद्दीन कुरेशी पुत्र बदरुद्दीन कुरैशी के नाम दर्ज थी. इमामुद्दीन कुरेशी 1947- 48 में भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे और यह संपत्ति शत्रु संपत्ति के रूप में सन 2006 में भारत सरकार के कस्टोडियन विभाग के अंतर्गत दर्ज कर ली गई थी, रिकॉर्ड की जांच करने पर यह मामला प्रकाश में आया कि राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में जालसाजी कर शत्रु संपत्ति का गबन करने के लिए आफाक अहमद का नाम गलत तरीके से राजस्व रिकॉर्ड में अंकित कर दिया गया था. रिकॉर्ड के पन्ने फटे हुए पाए गए. फर्जी एंट्री प्रकाश में आने पर सन 2020 में यह मुकदमा थाना सिविल लाइंस में दर्ज कराया गया था, जिसकी समीक्षा के दौरान 2023 में विवेचक इंस्पेक्टर गजेंद्र त्यागी ने हल्का लेखपाल के बयानों के आधार पर आजम खान का नाम आरोपियों में शामिल कर दिया था।

परंतु तत्कालीन पुलिस अधीक्षक द्वारा अपने आदेश पत्रांक के द्वारा गजेंद्र त्यागी से इंटरप्रिटेशन हटाकर अपराध शाखा में ट्रांसफर करते हुए इंस्पेक्टर श्रीकांत द्विवेदी को विवेचक बना दिया था. इसके बाद पुलिस जांच में ढिलाई बरती गयी और इस मामले में धाराओं को हल्का किया गया साथ ही चार्जशीट से आजम खान का नाम भी निकाल दिया गया.

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