
अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/ सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत ने चेक बाउंस के मामले में दोषी महिला को छह महीने का कारावास व 83 लाख रुपये अर्थदंड से दंडित किया है। साथ ही अर्थदंड अदा नहीं करने पर एक महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।





माता मंदिर रोड स्थित सुपर इलेक्ट्रानिक्स के मुकेश रावल पुत्र किशन लाल रावल ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से न्यायालय में एक महिला के खिलाफ अलग-अलग तीन वाद धारा 138 एनआई एक्ट के दायर किए थे। कहा गया था कि सैनिक कॉलोनी निवासी जानकी उप्रेती ने पोस्टऑफिस में इंवेस्टमेंट के नाम पर उससे एक करोड़ 18 लाख रुपये लिए थे। जब उसने तकादा किया तो आरोपी ने उसे 90 लाख रुपये के चार चेक दे दिए। जब उसने बैंक में चेक लगाए तो वह बाउंस हो गए। उसने अपने अधिवक्ता के माध्यम से कई नोटिस भेजे लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद न्यायालय में उसने चार वाद दायर किए जिसमें से न्यायालय ने तीन मुकदमे निर्धारित कर दिए। न्यायालय में रावल ने अपने साथ तीन गवाह परीक्षित कराए। सुनवाई के दौरान आरोपी ने कहा कि मैंने परिवादी को कोई चेक नहीं दिया। चेक पर मेरे हस्ताक्षर भी नहीं हैं।
परिवादी से मैंने की कभी कोई रुपये नहीं लिए, मेरे ऊपर झूठे आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज कराया गया है। न्यायालय ने परिवादी के अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत किए साक्ष्यों व प्रस्तुत दस्तावेजों का परिशीलन के बाद आरोपी जानकी उप्रेती को दोषी मानते हुए तीनों मुकदमे में अलग-अलग सजा सुनाई। न्यायालय ने दोषी महिला को छह महीने कठोर कारावास की सजा सुनाते हुए 35 लाख, 24-24 लाख रुपये के अर्थदंड से दंडित किया। अर्थदंड अदा नहीं करने पर एक महीने का अतिरिक्त कारावास और भोगना पड़ेगा।