*नैनीताल” जिले के इस शहर में ऑनलाइन हाउस अरेस्ट का तीसरा मामला आया सामने, पूर्व प्रोफेसर से ठगों ने ठगे लाखों रुपए; मुकदमा दर्ज, पढ़िए पूरा मामला..*

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हल्द्वानी, रामनगर क्षेत्र में ऑनलाइन हाउस अरेस्ट का तीसरा मामला सामने आया है। इस बार साइबर ठगों ने उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय (यूओयू) के रिटायर्ड प्रवक्ता को कूरियर में ड्रग्स के साथ उनका आधार और पैन कार्ड होने का झांसा देकर आनॅलाइन हाउस अरेस्ट कर दिया। इसके बाद चार लाख रुपये खाते में डलवा लिए। रिटायर्ड प्रोफेसर ने मुखानी थाने में एफआईआर दर्ज कराई है।

शिव साईं कॉलोनी निकट रेनबो स्कूल बिठौरिया निवासी हरिहर प्रसाद शुक्ला ने मुखानी पुलिस को दी तहरीर में कहा कि 25 अप्रैल को उनके पास अनजान नंबर से फोन आया। फोन करने वाले ने कहा कि उनके आधार कार्ड से एक पार्सल ताइवान भेजा गया है जिसे मुंबई कस्टम पुलिस ने पकड़ लिया है। कूरियर से ड्रग्स, पासपोर्ट, क्रेडिट कार्ड व गैरकानूनी सामग्री मिली है। अब उन्हें तत्काल मुंबई क्राइम ब्रांच में रिपोर्ट करना होगा।

हरिहर का कहना है कि जब उन्होंने हल्द्वानी से मुंबई पहुंचने में असमर्थता जताई तो व्यक्ति ने कहा कि वह कॉल को ऑनलाइन मुंबई क्राइम ब्रांच से कनेक्ट कर रहा है। इसके बाद ऑनलाइन जुड़े कथित डीसीपी और इंस्पेक्टर ने कहा कि प्राथमिक जांच में सामने आया है कि हरिहर नाम के आधार, पहचान पत्र से चार बैंक अकाउंट अलग-अलग शहरों में खोले गए हैं और उनसे करोड़ों रुपये का गैरकानूनी लेनदेन हुआ है। इस कारनामे में कई अपराधी शामिल हैं।

ठगों ने इस मामले की ऑनलाइन जांच में सहयोग करने के लिए उन्हें 24 घंटे स्काइप की विडियो काल पर मुंबई क्राइम ब्रांच की निगरानी में रहने की हिदायत दी। ठगों ने उन्हें डिजिटल हाउस अरेस्ट के तहत बंधक बनाए रखा। इसके बाद फाइनेंशियल वेरीफिकेशन के लिए उनके बताए गए खाते में चार लाख रुपये जमा करवा लिए। मुखानी थानाध्यक्ष पंकज जोशी ने बताया कि अज्ञात ठगों पर धोखाधड़ी की धारा में प्राथमिकी दर्ज की है।

सीबीआई और आरबीआई के फर्जी पत्र दिखाए

सेवानिवृत्त प्रोफेसर हरिहर के अनुसार ठगों ने उन्हें सीबीआई और आरबीआई के फर्जी पत्र दिखाए और अपराध में शामिल होने का डर दिखाया। एक पत्र में लिखा था कि मुझे तत्काल अपने एसबीआई बैंक खाते से 35,565 रुपये उनके खाते में ट्रांसफर करने होंगे। इस दौरान ठगों ने उनके सभी बैंक खातों में जमा धनराशि की जानकारी ले ली। रातभर स्काइप एप के तहत वीडियो कॉल पर इंस्पेक्टर की निगरानी में रखा गया। सुबह तक मानसिक दबाव और डर के चलते सोचने समझने की शक्ति प्रभावित हो गई। अगले दिन उन्होंने चार लाख रुपये ठगों के बताए खातों में डाल दिए। कहा कि इसके बाद उन्होंने यह जानकारी अपने बेटे को दी। बेटे ने ऑनलाइन साइबर पोर्टल में भी शिकायत की है।

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