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हरियाणा एवं पंजाब हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट पर कटाक्ष करने वाली टिप्पणी करने के लिए भले ही चेतावनी के बाद बच गए हों, लेकिन गुजरात की एक जज सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना पर उसके कोपभाजन से नहीं बच पाई हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अभूतपूर्व आदेश में गुजरात के सूरत में एडिशनल चीफ ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) दीपाबेन संजयकुमार ठाकर को अपने आदेश की अवमानना का दोषी ठहराया। इतना ही नहीं कोर्ट ने सूरत के वेसु थाने में तैनात इंस्पेक्टर आरवाई रावल को भी अवमानना का दोषी ठहराया है।

सुप्रीम कोर्ट का अग्रिम जमानत आदेश होने के बावजूद उसकी अनदेखी कर व्यक्ति को पूछताछ के लिए हिरासत में भेजने को शीर्ष अदालत ने गंभीर और अदालत की अवमानना करने वाला मानते हुए दोनों अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का दोषी माना।

कोर्ट ने दोनों को अवमानना का दोषी तो ठहराया

कोर्ट ने दोनों (जज और इंस्पेक्टर) को दो सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में पेश होकर सजा की मात्रा पर पक्ष रखने का आदेश दिया है। यानी कोर्ट ने दोनों को अवमानना का दोषी तो ठहरा दिया है, अब बस यह तय होना है कि सुप्रीम कोर्ट दोनों को अवमानना के लिए कितनी और क्या सजा देता है। ये आदेश जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने तुषार भाई रजनीकांत भाई शाह की याचिका पर फैसला सुनाते हुए बुधवार को दिए।

कोर्ट ने कहा कि आपराधिक न्यायशास्त्र कहता है कि अगर वास्तव में किसी को पुलिस हिरासत में भेजने की आवश्यकता है तो कोर्ट ऐसा करने से पहले मामले के तथ्यों को देखता है और अपने न्यायिक विवेक का इस्तेमाल करता है। अदालत से जांच एजेंसियों के दूत के रूप में काम करने की अपेक्षा नहीं की जाती। अदालतों को रिमांड अर्जियां रुटीन तरीके से नहीं स्वीकार करनी चाहिए। कोर्ट ने सूरत की एसीजेएम दीपाबेन संजय कुमार ठाकर को पक्षपाती और मनमाने तरीके से काम करने के लिए अवमानना का दोषी माना।

अभियुक्त को हिरासत में भेजा गया

पीठ इस बात से हैरान थी कि जब तुषारभाई रजनीकांत भाई शाह को अग्रिम जमानत देने का सुप्रीम कोर्ट का आठ दिसंबर, 2023 का आदेश था तो फिर न्यायिक अधिकारी ने कैसे जांच अधिकारी की अभियुक्त को पूछताछ के लिए पुलिस हिरासत में भेजने की मांग की अर्जी पर ध्यान दिया और उसे हिरासत में भेज दिया।

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