कांवड़ यात्रा में सख्ती: अब हर ढाबा, ठेला और दुकान पर दिखाना होगा फूड लाइसेंस और पहचान पत्र

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देहरादून। कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले उत्तराखंड सरकार ने खाद्य कारोबारियों के लिए कड़े दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। यूपी की तर्ज पर अब उत्तराखंड में भी कांवड़ मेले के दौरान सभी रेहड़ी-पटरी वालों, ढाबा संचालकों और खाद्य विक्रेताओं को अपने पहचान पत्र और फूड लाइसेंस/रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र दुकान पर चस्पा करना अनिवार्य होगा।

 

खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की ओर से जारी आदेश के अनुसार यह कदम श्रद्धालुओं को शुद्ध, सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से उठाया गया है। 11 जुलाई से शुरू होने वाली कांवड़ यात्रा के दौरान इन दिशा-निर्देशों का पालन सभी को करना होगा।

 

दिशा-निर्देशों की मुख्य बातें:

 

हर दुकानदार को फूड लाइसेंस/रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र की प्रति दुकान पर लगानी होगी।

 

रेहड़ी-पटरी व छोटे विक्रेताओं को फोटो पहचान पत्र और पंजीकरण प्रमाणपत्र रखना होगा।

 

होटल, ढाबा और रेस्टोरेंट में ‘फूड सेफ्टी डिस्प्ले बोर्ड’ लगाया जाना अनिवार्य होगा।

 

आदेशों की अनदेखी पर खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 की धारा 55 के तहत कार्रवाई होगी, जिसमें दो लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।

 

 

खाद्य निरीक्षण टीमों की तैनाती

हरिद्वार, देहरादून, पौड़ी, टिहरी और उत्तरकाशी जिलों में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की विशेष टीमें तैनात की गई हैं। ये टीमें पंडालों व भोजन केंद्रों से दूध, मिठाई, मसाले, तेल व पेय पदार्थों के सैंपल लेंगी और प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजेंगी।

 

सैंपल फेल होने पर कार्रवाई

अगर किसी भोजन सामग्री का सैंपल मानकों पर खरा नहीं उतरा, तो संबंधित दुकान या भोजन केंद्र को तत्काल सील कर बंद कर दिया जाएगा।

 

जन-जागरूकता के लिए IEC अभियान

सरकार की ओर से आईईसी (सूचना, शिक्षा और संचार) के ज़रिए आमजन और दुकानदारों को जागरूक किया जाएगा। बैनर, पोस्टर, पर्चे और सोशल मीडिया के ज़रिए जानकारी दी जाएगी कि कैसे शुद्ध और सुरक्षित भोजन की पहचान करें।

 

शिकायत के लिए हेल्पलाइन भी जारी

अगर किसी को भोजन की गुणवत्ता को लेकर कोई शिकायत है, तो वह टोल फ्री नंबर 18001804246 पर सूचना दे सकता है। शिकायत मिलते ही प्रशासनिक टीमें मौके पर जाकर जांच करेंगी और कार्रवाई करेंगी।

 

पूर्व में कोर्ट ने जताई थी आपत्ति

गौरतलब है कि 2024 में जब इसी तरह का आदेश लागू किया गया था, तब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि भोजन बेचने वालों को उनकी पहचान सार्वजनिक करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता, लेकिन इस बार सरकार का फोकस सिर्फ खाद्य गुणवत्ता और लाइसेंस दिखाने पर है, न कि नाम उजागर करने पर।

स्वास्थ्य सचिव आर. राजेश कुमार ने स्पष्ट किया है कि श्रद्धालुओं की सेहत सर्वोच्च प्राथमिकता है। मिलावटखोरों और मानकों से खिलवाड़ करने वालों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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