पौड़ी जिले की एकमात्र नगर निगम श्रीनगर में इस बार बड़ा उलटफेर हुआ है। निर्दलीय प्रत्याशी आरती भंडारी ने भाजपा की उम्मीदवार आशा उपाध्याय को 1,639 वोटों से हराकर मेयर पद पर कब्जा कर लिया। यह जीत भाजपा के लिए खास तौर पर बड़ा झटका मानी जा रही है, क्योंकि श्रीनगर क्षेत्र को भाजपा कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का गढ़ माना जाता है।
श्रीनगर नगर निगम के मेयर पद के लिए हुए चुनाव में आरती भंडारी को कुल 7,959 वोट मिले, जबकि भाजपा की प्रत्याशी आशा उपाध्याय को 6,320 वोट ही प्राप्त हुए। कांग्रेस की मीना रावत और यूकेडी की सरस्वती देवी सहित अन्य प्रत्याशी इस मुकाबले में पीछे रह गए।
आरती भंडारी ने भाजपा से बगावत कर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और बड़ी जीत दर्ज की। जीत के बाद उन्होंने जनता का धन्यवाद किया और भरोसा दिलाया कि वह अपने घोषणापत्र को पूरी तरह लागू करेंगी।
आरती भंडारी, मेयर, श्रीनगर:- “यह जीत मेरी नहीं, बल्कि श्रीनगर की जनता की जीत है। मैं हरसंभव प्रयास करूंगी कि श्रीनगर के विकास को नई ऊंचाईयों पर ले जाया जा सके।”
भाजपा के लिए यह हार इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि श्रीनगर विधानसभा को पार्टी का मजबूत गढ़ माना जाता है। हालांकि, निर्दलीय आरती भंडारी की जीत ने यहां सियासी समीकरण बदल दिए हैं।
इस चुनाव में भाजपा ने आशा उपाध्याय को अपना प्रत्याशी बनाया था, जबकि कांग्रेस ने मीना रावत को मैदान में उतारा था। निर्दलीय आरती भंडारी के बगावती तेवरों के बीच जनता ने उन्हें भारी समर्थन देकर मेयर की कुर्सी पर बिठाया।
अब देखना होगा कि श्रीनगर की नवनिर्वाचित मेयर आरती भंडारी जनता के विकास के सपनों को कितना पूरा कर पाती हैं।