
लोकसभा चुनाव 2024 जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे I.N.D.I.A में तकरार बढ़ रहा है।





गठबंधन के नेता ही एक-दूसरे पर जमकर निशाना साध रहे हैं। इसी कड़ी में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का विवादित बयान सामने आया है, जिसने राजनीतिक सरगर्मियां तेज कर दी है।
एक थी कांग्रेस…’
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि आज उसकी स्थिति साफ है। जल्दी ही पंजाब और दिल्ली में माताएं अपने बच्चों को यह कहानी सुनाती दिखाई देंगी कि एक थी कांग्रेस।
हालंकि, मान ने कहा कि संविधान को बचाने के लिए इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूसिव अलायंस (आईएनडीआईए) के तहत कांग्रेस के साथ गठबंधन जरूरी है।
क्या कांग्रेस की स्थिति साफ होने से कम है-मान
कारण, जब संविधान बचेगा तब ही राष्ट्र बचेगा। तभी सारी पार्टियां भी बचेंगी। सीटों के बंटवारे का निर्णय आईएनडीआईए की अगली बैठक में ले लिया जाएगा।
यह बात उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कही। इस दौरान उनसे पूछा गया था कि पंजाब कांग्रेस के नेता गठबंधन के खिलाफ हैं और उन्हें लगता है कि गठबंधन हुआ तो कांग्रेस का पंजाब से सफाया हो जाएगा। इस पर मान ने कहा कि आज उनकी क्या स्थिति है। क्या कांग्रेस की स्थिति साफ होने से कम है।
कांग्रेस नहीं करना चाहती आप से गठबंधन
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस पार्टी जहां आम आदमी पार्टी (आप) के साथ गठबंधन नहीं करने को लेकर एकजुट नजर आ रही है। वहीं, गठबंधन को लेकर मुख्यमंत्री के रुख में भी बदलाव नजर आ रहा है।
तीन राज्यों छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश के चुनाव परिणाम आने से पहले तक मुख्यमंत्री दावा करते थे कि आप को सरकार बनानी भी आती है और चलानी भी।
तीनों राज्यों के चुनाव में आप को मिला एक प्रतिशत मत
तीन राज्यों के चुनाव परिणाम में आप को एक प्रतिशत ही मत मिल पाने के कारण मुख्यमंत्री के रुख में बदलाव देखा जा रहा है। गठबंधन का विरोध शुरू से ही पंजाब कांग्रेस ने किया है। आप ने न तो कभी इसका विरोध किया और न ही समर्थन में कोई बात कही।
आप गठबंधन के हक में
ऐसे में गठबंधन को लेकर भगवंत मान का यह कहना कि आईएनडीआईए की अगली बैठक में सीटों का बंटवारा हो जाएगा, इस बात के संकेत देता है कि तीन राज्यों के चुनाव परिणाम के बाद आप अब गठबंधन के हक में है।
दोनों पार्टियों के लिए आसान नहीं गठबंधन
उधर, पंजाब कांग्रेस के नेताओं ने हाईकमान को स्पष्ट कह दिया है कि अगर गठबंधन होता है तो वे घर बैठ जाएंगे या दूसरी पार्टी में जाने के लिए मजबूर हो जाएंगे। ऐसे में मुख्यमंत्री भले ही कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर दिलचस्पी दिखा रहे हों, लेकिन समझौता करना दोनों पार्टियों के लिए आसान नहीं होने वाला है।