
ओल्ड मसूरी रोड पर वीरगिरवाली स्थित आरक्षित वन क्षेत्र की करीब 9 बीघा जमीन फर्जीवाड़े से खरीदने के मामले में पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू सहित पांच आरोपियों के खिलाफ एसआईटी ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है. अन्य पांच आरोपियों के खिलाफ जांच जारी रहेगी।





जानकारी के अनुसार पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों साल 2012 में ओल्ड मसूरी रोड पर वीरगिरवाली स्थित आरक्षित वन क्षेत्र के करीब 9 बीघा जमीन अपने नाम कर ली थी. इस जमीन पर साल प्रजाति के 25 पेड़ कटवा दिए गए थे. उस दौरान बीएस सिद्धू के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को प्रार्थना पत्र दिया गया था. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई थी।
यह भूमि दो दशक पहले किसी नाथूराम नाम के व्यक्ति के नाम पर दर्ज थी. बाद में उस जमीन को आरक्षित वन क्षेत्र घोषित कर दिया गया था. उसके बाद बीएस सिद्धू ने मेरठ जिले में नाथूराम नाम के व्यक्ति की तलाश की. इस नाम का व्यक्ति मेरठ के रसूलपुर गांव में मिल गया. रसूलपुर गांव के ग्राम प्रधान चमन सिंह के जरिए नाथूराम ने फर्जी दस्तावेज बनाए. इसके बाद उसे रजिस्ट्री कार्यालय में जमीन का मालिक दर्शाकर जमीन अपने नाम कर ली थी।
यह दाखिल खारिज 13 मार्च 2013 को बीएस सिद्धू के नाम हुई और इस दाखिल खारिज के खिलाफ काशीराम क्वार्टर डिस्पेंसरी रोड पर रहते असली नाथूराम के बेटों ने अपर तहसीलदार कोर्ट से 25 मार्च 2013 को स्टे हासिल कर लिया था. इस दौरान रहमुद्दीन और हाजी रिजवान नाम के व्यक्ति सामने आए उन्होंने जमीन की पावर ऑफ अटॉर्नी अपने नाम होने का दावा किया. तब बीएस सिद्धू की तरफ से नाथूराम बनाए गए व्यक्ति की तरफ से उनके खिलाफ शहर कोतवाली में 5 जुलाई 2013 को मुकदमा दर्ज करा दिया गया. मामले में जांच शुरू हुई तो इस बीच बीएस सिद्धू रिटायर हो गए. इसके बाद जमीन खरीदने में हुए खेल की परतें खुलनी शुरू हुईं।
एसआईटी की पर्यवेक्षण डीआईजी एलओ पी रेणुका ने बताया है कि एसआईटी की जांच में पूर्व डीजीपी को आरोपी बनाया गया है. एसआईटी ने करीब एक साल की जांच के बाद पांच आरोपी पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू, रहमद्दीन, हाजी रिजवान, सुभाष शर्मा और स्मिता दीक्षित पर आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 और 120बी के तहत चार्जशीट दाखिल की गई है. साथ ही पांच अन्य के खिलाफ जांच जारी है।