*बुलडोजर एक्शन पर SC ने की सख्त टिप्पणी:- “सिर के ऊपर छत होना लोगों का मूलभूत अधिकार…”*

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सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि किसी भी शख्स के सिर के ऊपर छत होना उसका मूलभूत अधिकार है. लेकिन अगर किफायती दाम पर लोगों को आवास उपलब्ध कराने में सरकारी नीतियां असमर्थ रहती हैं, तो ऐसे में अनाधिकृत कॉलोनियों का बनना तय है।

अदालत ने यह टिप्पणी लखनऊ के अकबर नगर में 24 कथित अवैध कॉलोनियों को ध्वस्त करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को खारिज करने के लिए दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान की।

सुप्रीम कोर्ट ने इन 24 अवैध कॉलोनियों को ध्वस्त करने के आदेश पर चार मार्च तक के लिए रोक लगा दी है. अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि जिन लोगों के घरों को ढहाया गया है, क्या उन्हें किसी तरह की आर्थिक मदद की जरूरत होती है. जस्टिस खन्ना ने कहा कि यहां सरकार की तरफ से कमियां हैं. सिर के ऊपर छत होना यानी घर होना लोगों का मूलभूत अधिकार है।

जस्टिस खन्ना ने कहा कि लोगों ने स्वीकार किया है कि ये जमीन सरकार की है और सरकारी जमीन पर निर्माण अवैध है. हालांकि, पीठ ने याचिकाकर्ताओं को अपना सामान निकालने के लिए चार मार्च रात 12 बजे तक का समय दिया है।

पीठ ने कहा, इसके बाद एलडीए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होगा. 27 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कब्जेदारों की याचिका खारिज करते हुए इसका रास्ता साफ कर दिया था।

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के पास वैकल्पिक आवास के लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) की योजना के तहत आवेदन करने का अधिकार है. एलडीए के पास इन अवैध ढांचों को ध्वस्त करने का अधिकार है. इसके साथ ही कोर्ट ने इन अवैध ढांचों को नष्ट करने से पहले और बाद की तस्वीरें लेने का निर्देश दिया।

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