खालिस्तान समर्थक उपदेशक अमृतपाल सिंह के सात सहयोगियों को 2023 में अजनाला पुलिस थाने पर हुए हमले के मामले में शुक्रवार को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 25 मार्च तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।
रासुका हटाकर फिर हुई गिरफ्तारी
इन सातों आरोपियों के खिलाफ पहले राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाया गया था, जिसके तहत वे असम के डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में बंद थे। हाल ही में पंजाब सरकार ने रासुका हटाने का फैसला किया, जिसके बाद कानूनी प्रक्रिया पूरी कर उन्हें पंजाब लाया गया। हालांकि, अजनाला हमले से जुड़े एक अन्य मामले में पंजाब पुलिस ने उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया।
कड़ी सुरक्षा में अदालत पेशी
अधिकारियों के अनुसार, सभी सात आरोपियों को सख्त सुरक्षा इंतजामों के बीच अजनाला अदालत में पेश किया गया, जहां पुलिस ने उनकी हिरासत की मांग की। पुलिस ने दावा किया कि कुछ मोबाइल फोन और हथियार बरामद करने के लिए आगे की जांच जरूरी है। अदालत ने 25 मार्च तक पुलिस हिरासत मंजूर कर ली।
किन-किन को हिरासत में लिया गया?
डिब्रूगढ़ जेल से पंजाब लाए गए अमृतपाल सिंह के सहयोगियों में शामिल हैं:
- बसंत सिंह (मोगा, दौलतपुरा ऊंचा)
- भगवंत सिंह उर्फ प्रधान मंत्री बाजेके (मोगा, बाजेके)
- गुरमीत सिंह गिल उर्फ गुरमीत बुक्कनवाला (मोगा, बुक्कनवाला)
- सरबजीत सिंह कलसी उर्फ दलजीत सिंह कलसी (नई दिल्ली, पंजाबी बाग पश्चिम)
- गुरिंदरपाल सिंह औजला उर्फ गुरी औजला (फगवाड़ा)
- हरजीत सिंह उर्फ चाचा (अमृतसर, जल्लूपुर खेड़ा)
- कुलवंत सिंह धालीवाल (मोगा, राउके कलां)
अमृतपाल सिंह और WPD पर कार्रवाई
मार्च 2023 में खालिस्तान समर्थक संगठन वारिस पंजाब दे (WPD) के प्रमुख अमृतपाल सिंह समेत 10 सदस्यों को रासुका के तहत गिरफ्तार कर डिब्रूगढ़ जेल भेजा गया था। हाल ही में हिरासत की अवधि खत्म होने के बाद इन सातों को डिब्रूगढ़ जेल से समूहों में रिहा किया गया, लेकिन पंजाब पुलिस ने उन्हें अजनाला हमले के मामले में दोबारा गिरफ्तार कर लिया।
गौरतलब है कि अमृतपाल सिंह ने 2024 लोकसभा चुनाव खडूर साहिब सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ा था और जीत दर्ज की थी।