प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए. इस दौरान कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (NMNF) शुरू करने की मंजूरी दी गई.
इस योजना पर 2481 करोड़ रुपये खर्च किए जाने का लक्ष्य है. इसमें राज्य सरकार की भी हिस्सेदारी होगी. इस मिशन के तहत किसान अपने पूर्वजों से विरासत में मिले पारंपरिक ज्ञान के आधार पर खेतों में उर्वर्क डालेंगे. इससे किसानों को रसायन मुक्त खेती की आदत बनेगी.
प्राकृतिक खेती परंपरागत तरीके से होती है. इसमें स्थानीय जानकारों और स्थानीय कृषि पारिस्थितिकी के हिसाब फसल उगाए जाते हैं. राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन का उद्देश्य सभी के लिए सुरक्षित और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए कार्य प्रणालियों को बढ़ावा देना है.
मिशन का उद्देश्य किसानों को खेती में आने वाली लागत को कम करना और कम से कम बाहरी संसाधनों का इस्तेमाल करना है. प्राकृतिक खेती हेल्दी इकोसिस्टम का निर्माण और रखरखाव करेगी. जैव विविधता को इससे बढ़ावा मिलेगा.
अगले दो वर्षों में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन को इच्छुक ग्राम पंचायतों के 15,000 समूहों में लागू किया जाएगा. इस मिशन के तहत एक करोड़ किसानों के 7.5 लाख हेक्टेयर खेतों में प्राकृतिक तरीके से खेती को बढ़ावा दिया जाएगाा.
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन खेती करने वाले किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी. इसके अलावा, किसानों के लिए उपयोग के लिए तैयार राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन लागत की आसान उपलब्धता और पहुंच प्रदान करने के लिए आवश्यकता-आधारित 10,000 जैव-इनपुट संसाधन केंद्र (बीआरसी) स्थापित किए जाएंगे.
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत कृषि विज्ञान केन्द्रों (केवीके), कृषि विश्वविद्यालयों (एयू) और किसानों के खेतों में लगभग 2000 एनएफ मॉडल प्रदर्शन फार्म स्थापित किए जाएंगे. इन्हें अनुभवी और प्रशिक्षित किसान मास्टर प्रशिक्षकों द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी.
इच्छुक किसानों को उनके गांवों के पास केवीके, एयू और एनएफ खेती करने वाले किसानों के खेतों में एनएफ पैकेज ऑफ प्रैक्टिस, एनएफ इनपुट की तैयारी आदि पर मॉडल प्रदर्शन फार्मों में प्रशिक्षित किया जाएगा. इस मिशन के तहत 18.75 लाख प्रशिक्षित किसान अपने पशुओं का उपयोग करके प्राकृतिक उर्वरक तैयार करेंगे. जागरूकता पैदा करने, एकजुट करने और समूहों में इच्छुक किसानों की मदद करने के लिए 30,000 कृषि सखियों को तैनात किया जाएगा.
ये तरीके उर्वरकों, कीटनाशकों आदि के संपर्क में आने से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों को भी कम करते हैं और किसानों के परिवार को स्वस्थ और पौष्टिक भोजन प्रदान करते हैं. इस विधि के अपनाने से आने वाली पीढ़ियों को रसायन मुक्त फसल और एक स्वस्थ धरती माता मिलेगी.