देहरादून। ऑनलाइन रजिस्ट्री प्रणाली और यूसीसी में अधिवक्ताओं की अनदेखी के विरोध में मंगलवार को प्रदेशभर के वकील सड़कों पर उतर आए। मैदान से लेकर पहाड़ तक के अधिवक्ता एकजुट नजर आए और सचिवालय की ओर कूच किया। देहरादून में सचिवालय घेराव की कोशिश कर रहे वकीलों को पुलिस ने रास्ते में ही बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया।
बार एसोसिएशन के नेतृत्व में हुए इस जोरदार विरोध प्रदर्शन का असर पूरे प्रदेश में देखने को मिला। सभी जिलों में न्यायिक कार्य पूरी तरह से ठप रहा और कोर्ट परिसरों में सन्नाटा पसरा रहा। अधिवक्ताओं के साथ इस आंदोलन में टाइपिस्ट, स्टांप वेंडर और बस्ते वाले भी शामिल हुए।
देहरादून बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनमोहन कंडवाल ने बताया कि सरकार की नई ऑनलाइन रजिस्ट्री व्यवस्था से अधिवक्ताओं की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है। पांच मार्च को गढ़वाल मंडल की सभी बार एसोसिएशन की बैठक में इस मुद्दे पर चिंता जताई गई थी। उन्होंने कहा कि शादी, वसीयत और संपत्ति से जुड़े रजिस्ट्रेशन में अधिवक्ताओं की भूमिका लगातार कम की जा रही है, जिससे उनका भविष्य असुरक्षित हो गया है।
वकीलों का कहना है कि वे यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) के विरोध में नहीं हैं, लेकिन इसमें अधिवक्ताओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाए और उनकी राय के आधार पर बदलाव किए जाएं। वहीं, अधिवक्ता रजत दुआ ने कहा कि सरकार ऑनलाइन प्रक्रियाएं लागू कर अधिवक्ताओं की आजीविका पर चोट कर रही है।
6 जून को भी अधिवक्ताओं ने रजिस्ट्री कार्यालयों, एडीएम और एसडीएम कार्यालयों में कामकाज ठप कर हड़ताल की थी, लेकिन मंगलवार का विरोध पूरे राज्य में व्यापक रूप से देखने को मिला।
प्रदर्शनकारी वकीलों ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि जल्द उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो प्रदेशभर में रजिस्ट्री से जुड़ा हर कार्य – चाहे वह ऑनलाइन हो या ऑफलाइन – पूरी तरह ठप कर दिया जाएगा। फिलहाल आंदोलन की अगली रूपरेखा बार एसोसिएशनों की अगली बैठक में तय की जाएगी।