काशीपुर में विद्यार्थियों में शिक्षा की अलख जगाने के लिए सरकार विभिन्न योजनाएं तो लाती है, लेकिन इनका लाभ सभी विद्यार्थियों को नहीं मिल पाता है। क्योंकि कई ऐसे घोटाले सामने आते हैं, जिसमें छात्रों को मिलने वाली राशि उन तक पहुंची ही नहीं। ऐसा ही एक मामला राधेहरि राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में पकड़ में आया है। यहां छात्र-छात्राओं को मिलने वाले टैबलेट की धनराशि में लाखों का घोटाला प्रकाश में आया है। जांच समिति के संज्ञान में यह मामला आया है। इसके बाद उच्च स्तरीय जांच के लिए शासन को पत्र भेजा गया है।
24 अप्रैल 2024 को मोहल्ला काजीबाग निवासी अली अनवर ने उच्च शिक्षा सचिव को पत्र भेजकर कहा था कि राधेहरि पीजी कॉलेज से सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत सचिव वितरण संबंधी सूचना मांगी गई थी। प्राप्त सूचना में टैबलेट की गुणवत्ता में लापरवाही, छात्र संख्या में गड़बडियां और शासनादेशों की अवहेलना उजागर हुई है। मामले में प्राचार्य ने डॉ. एमके सिन्हा, डॉ. केसी जोशी, डॉ. ए अहमद की तीन सदस्य समिति का गठन कर जांच के निर्देश दिए। 19 जुलाई को समिति ने जांच कर रिपोर्ट प्राचार्य को सौंपी। जांच में पाया गया कि 4 जनवरी 2022 तक कुर्मांचल नगर सहकारी बैंक के अभिलेखों में कुल 4668 छात्र-छात्राओं का प्रवेश शुल्क जमा किया गया। इस आधार पर महाविद्यालय में इतने ही छात्र-छात्राएं अध्ययनरत थे।
इसके बावजूद 6232 विद्यार्थियों को अध्ययनरत दर्शाया गया है। तत्कालीन प्राचार्य द्वारा 6232 छात्र संख्या दर्शाकर कोषागार से 12000 प्रति छात्र के हिसाब से 7 करोड़ 47 लाख 84 हजार धनराशि आहरित कर ली गई। जबकि छात्र संख्या 4668 थी। महाविद्यालय के लेजर के आधार पर 3986 छात्रों के टैबलेट की राशि निर्गत की गई। शेष 682 छात्रों को टैबलेट की राशि निर्गत नहीं की गई। टैबलेट की गुणवत्ता मानकों के अनुरूप के लिए डीएम की अध्यक्षता में समिति गठन का शासनादेश था। इसमें जिले के विभागीय नोडल अधिकारी, प्राचार्य, पीटीए अध्यक्ष शामिल होंगे, लेकिन समिति का गठन ही नहीं किया, इस प्रकार आदेशों की अवहेलना की गई। महाविद्यालय के लेजर खाते के अनुसार 3986 लाभार्थियों को टैबलेट क्रय करने के लिए धनराशि उनके खाते में डाली गई। इनमें से मात्र 2158 छात्रों से ही टैबलेट क्रय का बाउचर-बिल रसीद ली गई। शेष 1828 से बाउचर भी संकलित नहीं किया गया। इसमें भी घोर लापरवाही की गई है।
अलग-अलग हैं संख्या
बैंक में 4417 लाभार्थियों को 12 हजार के हिसाब से 5 करोड़ 30 लाख 4 हजार, महाविद्यालय के लेजर खाता में 3986 को 4 करोड़ 78 लाख 32 हजार, निदेशक को भेजे गए पत्र में 3942 को 4 करोड़ 73 लाख 4 हजार दर्शाया गया है।
बिलों में भी गड़बड़ियां
समिति ने लाभार्थियों से संकलित बाउचर की गहनता से जांच की। इसमें भारी विसंगतियां पाई गई। एक लाभार्थी के बिल में कटिंग, 9 के बिल 3 प्रतिशत जीएसटी, 12 के बिल बिना जीएसटी, 17 के बिल पढ़ने में नहीं आए, एक बिल भाई के नाम, दो बिल 5 प्रतिशत जीएसटी का पाया गया।
समिति का निष्कर्ष
समिति ने निष्कर्ष निकाला है कि छात्र गणना, कोषागार से आहरित धनराशि, टैबलेट की गुणवत्ता, लाभार्थियों के बिल, मानक के अनुसार स्तरीय फर्मों से टैबलेट क्रय करने में लापरवाही एवं अनियमितताएं परिलक्षित होती है और शासनादेशों का स्पष्ट उल्लंघन है।
अन्य एजेंसी से जांच कराने की मांग
अली अनवर ने उच्च शिक्षा सचिव देहरादून को पत्र भेजा है। इसमें उन्हाेंने बताया कि 19 जुलाई को समिति ने राधेहरि पीजी कॉलेज में जांच की गई। समिति की ओर से 4 जनवरी 2022 तक पंजीकृत छात्र-छात्राओं का आंकलन, आहरित धनराशि का मिलान नहीं हो पा रहा है। टैबलेट की गुणवत्ता एवं बिल बाउचर भी विधिवत नहीं है। उन्होंने जांच समिति की रिपोर्ट के अनुसार अभियोग पंजीकृत कराने के आदेश एवं जांच पुलिस के बजाए किसी अन्य एजेंसी से कराए जाने की मांग की है।
राधेहरि पीजी कॉलेज 2022 में छात्रों को टैबलेट की धनराशि खाते में भेजने के मामले में क्या जांच हुई है, इसकी जानकारी नहीं है। महाविद्यालय से रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
– डॉ. अंजू अग्रवाल, निदेशक, उच्च शिक्षा, हल्द्वानी