उधमसिंहनगर के अधिवक्ता से उत्तर प्रदेश में राज्यमंत्री बनाने के नाम पर लाखों की ठगी, मुकदमा दर्ज; जानिए पूरा मामला।

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उत्तर प्रदेश में राज्यमंत्री या विधान परिषद सदस्य का पद दिलाने के नाम पर एक वकील से 6.46 लाख रुपये की ठगी का मामला सामने आया है। इस मामले में पुलिस ने अब चार आरोपितों के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। मामला करीब दो साल पुराना है, लेकिन पुलिस को अब जाकर शिकायत प्राप्त हुई है। आरोप है कि वकील को बड़े सुनियोजित तरीके से फंसाया गया और धमकियां देकर दो करोड़ रुपये की और मांग की जा रही थी।

मामले में कोतवाली पुलिस ने पीड़ित की तहरीर पर चार आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दिया है। पिछले दो सालों से यह सिलसिला जारी था। यहां तक कि पीड़ित को भरोसा दिलाने के लिए इन लोगों ने बड़े सुनियोजित तरीके से उसे फंसाया गया। उसके बाद धमकी देकर दो करोड़ की अभी भी मांग की जा रही थी।

मामले में कोतवाली पुलिस को सौंपी तहरीर में काशीपुर के स्टेशन रोड निवासी एडवोकेट उदित बंसल पुत्र प्रमोद बंसल ने बताया है कि उसकी पहचान का अमित काम्बोज पुत्र सुखवीर सिंह निवासी जीसी ग्राउण्ड, इंदिरापुरम, गाजियाबाद 28 मई 2022 की शाम के लगभग 4 बजे उनके निवास स्थान स्थित कार्यालय पर मिलने आया तथा उन्हें बताया कि वह जिम कॉर्बेट पार्क से आ रहा है।

उसने कहा कि अगर उत्तर प्रदेश में कोई राज्यमंत्री या विधान परिषद के सदस्य का पद चाहिए तो वह दिला सकता है, क्योंकि उसकी व उसके भाई मनोज काम्बोज की उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार में उच्च नेताओं व मंत्रियों से जान पहचान है।

ऐसे किसी पद के लिए दो करोड़ रुपये भाजपा के पार्टी फण्ड में उसके बदले देने होंगे। चूंकि अमित काम्बोज उनका पूर्व परिचित था, इसलिए उन्होंने उसकी बात पर भरोसा कर उसे लखनऊ आने-जाने के खर्च के लिए 40 हजार रुपये नकद दे दिये।

मामले में 3 जून 2022 को दोपहर लगभग 12 बजे अमित काम्बोज ने पचास हजार रुपये उसके बैंक खाते में ट्रांसफर कर दो ताकि वह भाजपा उत्तर प्रदेश के पार्टी फंड में जमा कर दें एवं एक बायोडाटा बनाकर भेजने के लिए कहा। उदित ने फ़ोन आने के बाद उसी दिन शाम के 7 बजे अपना बायोडाटा अमित काम्बोज के व्हाट्सएप पर भेजा तथा 50 हजार रुपये उसे गूगल पे के द्वारा ट्रांसफर कर दिये।

इसके बाद कई किश्तों में पीड़ित से मामले में पैसे की उगाही की गई। इस दौरान मनोज ने टैक्सट मैसेज भेजकर लगातार भाजपा नेताओं से संपर्क में होने की बात कही रहा था। अमित काम्बोज ने 22 जून 2022 की सुबह लगभग 8 बजे अपने फोन से एक आदमी से बात करवाई जिसका नाम नरेश निवासी सहारनपुर बताया तथा कहा कि वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का बेहद करीबी है तथा भाजपा का संगठन मंत्री है।

इस दौरान सीएम से मुलाकात कराने नाम पर दिल्ली बुलाया गया। यहां नरेश नाम के व्‍यक्ति ने उसकी मुलाकात राजकुमार कर्णवाल से कराई जिससे सीएम का ओएसडी बताया गया। इस दौरान पूरे दिन यूपी भवन में इंतजार के बाद मुलाकात भी नहीं कराई गई। इसके बाद राजकुमार ने कहा लखनऊ में बैठक तय हुई है।

लखनऊ बुलाकर होटल के नाम पर 25 हजार रुपये जमा करा लिए गए। इस दौरान 40 हजार अतिरिक्त लेने के बाद भी व्यस्तता दिखाकर मिलने का कार्यक्रम टाल दिया गया। इसके राजकुमार कर्णवाल ने उसके बैंक खाते में 1 लाख 10 हजार रुपये पार्टी फण्ड के लिए तथा 90 हजार रुपये खर्च को भेजने के लिए कहा, जिसे उन्होंने उसी दिन राजकुमार के खाते में ट्रांसफर कर दिये। इस दौरान कर्णवाल ने कुछ कागजात दिखाकर उससे 72 हजार और ऐठ लिए।

इसके बाद भी वाट्सएसप पर कागज भेज कर एक लाख से ज्यादा पैसे ट्रांसफर कराए गए। 28 फरवरी को उसे फिर से देहरादून बुलाया गया, जहां उदित अपने पिता प्रमोद कुमार अग्रवाल के साथ राजकुमार के देहरादून स्थित घर पर गया। राजकुमार ने 5 लाख रुपये और मांगे जो कि पीडि़त ने उस वक्त देने को मना कर दिया।

11 मई 2023 को जब उदित हैदराबाद गए हुए थे, तब राजकुमार कर्णवाल तथा नरेश का फोन आया कि दो-तीन दिन में राजकुमार कर्णवाल के खाते में 5 लाख रुपये डाल दो, जिससे कि पार्टी फण्ड में देकर सरकार में राज्य मंत्री का पद सुनिश्चित करवाया जा सके।

जिस पर उन्होंने अपनी भांजी के माध्यम से 2 लाख रुपये उसके खाते में जमा करवा दिये। इसके बाद उदित ने कई बार अमित व राजकुमार को फोन कर उपरोक्त कार्य के लिए पूछा, परन्तु उन दोनों ने कोई भी संतोषजनक जवाब नहीं दिया। इस दौरान कुल 6 लाख 46 हजार रुपये दिए जा चुके थे।

21 अक्टूबर को जब एडवोकेट ने उदित ने अमित को फोन करके अपने सारे 6,46,000 रुपये वापस मांगे तो उसने नरेश को कॉन्फ्रेंस कॉल में लिया तथा दोनों ने उन्हें धमकाना शुरू कर दिया कि अगर तुझे जिन्दा रहना है तो यह रुपए भूल जाओ।

उदित बंसल की तहरीर के आधार पर पुलिस ने उक्त चारों लोगों के खिलाफ धारा आईपीसी की धारा 420, 506 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है। मामले की जांच बांसफौड़ान चौकी इंचार्ज को सौंपी गई है।

जब उत्तर प्रदेश के राज्यमंत्री बनने का सील बंद लिफाफा दिखाया
खुद को सीएम को ओसडी बताने वाले राजकुमार कर्णवाल ने देहरादून में उदीत और उसके पिता का विश्वास जीतने के लिए पूरी साजिश कर बैठा था। उसने उनके मकान पर पहुंचते ही उसने उन्हें सीलबन्द लिफाफा दिखाया।

लिफाफे के ऊपर उनका नाम तथा प्रेषक उत्तर प्रदेश शासन लिखा था, तथा उस लिफाफे को खोलकर उसमें से पत्र निकाला जिस पर मुख्यामंत्री उत्तर प्रदेश सरकार के हस्ताक्षर थे तथा उदित को गवर्नर उत्तर प्रदेश का राज्य मंत्री बनाने की संस्तुति थी। इसके बाद हैदराबाद से उन्होंने पांच लाख रुपये भेजे।

राजकुमार पहले भी फर्जीवाड़े मे जा चुका है जेल
जब पूरे मामले में धमकी मिलने लगी तो उदीत अपने जानने वालों के साथ देहरादून गए। जहां पूछताछ करने पर यह जानकारी मिली कि राजकुमार कर्णवाल पहले भी ऐसे फर्जीवाड़ा कर चुका है और कई बार जेल भी जा चुका है।

2022 के मामले में इतनी देर से तहरीर क्यों?
तकरीबन 2 साल पहले के मामले में अभी तक पुलिस को कोई शिकायत नहीं मिली थी। इसको लेकर पुलिस की तरफ से सीओ का कहना है कि इसका जवाब मांगा नहीं गया है। मामले में जांच के दौरान इसकी जानकारी ली जाएगी।

पूरे मामले में तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज किया गया, मामले में आरोपितों का पहले से क्या आपराधिक इतिहास रहा है। इसकी जांच में विवेचना की जाएगी। – अनुषा बडोला, सीओ काशीपुर

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