अनुसूचित जाति की महिला से घर में घुसकर मारपीट करने के मामले में लापरवाही बरतने का मामला पुलिस अधिकारियों को भारी पड़ गया। मुकदमा दर्ज नहीं होने पर पीड़िता न्यायालय पहुंच गई। न्यायालय ने मामले को गंभीरता से लिया और मुखानी थानाध्यक्ष को आदेश दिए कि आरोपी के साथ तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी भूपेंद्र सिंह और तत्कालीन मुखानी थानाध्यक्ष के खिलाफ मुकदमा दर्ज करें।
पनियाली निवासी प्रमिला देवी ने बताया कि वह अपने दो बेटों के साथ रहती है। आरोपी गिरीश चंद्र तिवारी ने उसके बेटे पंकज को एक जमीन में निवेश का झांसा देकर पैसे ऐंठ लिए और ब्लैंक चेक भी ले लिया। ठगी का एहसास होने पर पंकज ने गिरीश के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया, जो न्यायालय में विचाराधीन है। आरोप है कि इसी वाद को वापस लेने के लिए गिरीश दबाव बना रहा था। बीते वर्ष चार जनवरी को गिरीश उस वक्त घर में घुस आया, जब उसके दोनों बेटे घर पर नहीं थे। महिला को बाल से पकड़कर घसीटा, गालियां दीं और जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया। यह मामला लेकर महिला मुखानी पुलिस के पास पहुंचीं, जिसके बाद तत्कालीन क्षेत्राधिकारी भूपेंद्र सिंह ने मामले की जांच की, फिर भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। इस पर महिला ने न्यायालय जिला एवं सत्र न्यायाधीश नैनीताल की शरण ली। न्यायालय ने गिरीश चंद्र तिवारी पर अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, 452, 323, 504, 506 के तहत मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने यह भी माना कि तत्कालीन मुखानी थानाध्यक्ष और तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी ने अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया। ऐसे में तत्कालीन इन दोनों के खिलाफ भी एससी/एसटी एक्ट की धारा 4 के तहत एफआईआर दर्ज की जाए।
तीनों आरोपियों पर मुकदमा दर्ज करने के आदेश के साथ ही न्यायालय ने यह आदेश भी दिया है कि इस मामले की जांच भिन्न एसएसपी से कराई जाए, जिससे किसी प्रकार से जांच प्रभावित न हो।