नैनीताल से बड़ी खबर – रामनगर के रहने वाले एक अधिवक्ता पर बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड ने सख्त कार्रवाई की है। पेशेवर दुराचार का दोषी पाए जाने पर उनके अधिवक्ता पंजीकरण को पांच वर्षों के लिए निलंबित कर दिया गया है। साथ ही उन पर 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है।
बार काउंसिल की नैनीताल स्थित अनुशासन समिति ने यह फैसला अधिवक्ता अधिनियम 1961 की धारा 35 के तहत सुनवाई के बाद सुनाया। मामला वाद संख्या 16/2023 से जुड़ा है, जिसकी शिकायत अधिवक्ता मोहम्मद फिरोज ने दर्ज कराई थी।
शिकायत में आरोप लगाया गया था कि संबंधित अधिवक्ता ने बिना अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) उत्तीर्ण किए, स्वयं को स्वतंत्र अधिवक्ता घोषित कर ‘रज़ा लॉ एंड टैक्स सॉल्यूशंस’ के नाम से कार्यालय शुरू कर दिया। जबकि यही नाम पहले से मोहम्मद फिरोज के विधिक कार्यालय के तौर पर पंजीकृत था। इससे न केवल आमजन में भ्रम फैला, बल्कि यह कानूनी नैतिकता का भी उल्लंघन था।
अनुशासन समिति की जांच में यह स्पष्ट हुआ कि अधिवक्ता ने जानबूझकर न केवल वैधानिक योग्यताओं की अनदेखी की, बल्कि एक स्थापित विधिक संस्था के नाम का दुरुपयोग भी किया।
बार काउंसिल ने सख्त संदेश देते हुए कहा कि इस प्रकार का आचरण अधिवक्ता पेशे की गरिमा और समाज में भरोसे को ठेस पहुंचाता है। साथ ही स्पष्ट किया कि यदि जुर्माना समय पर नहीं चुकाया गया, तो निलंबन की अवधि छह महीने और बढ़ा दी जाएगी।
यह फैसला न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश के लॉ स्टूडेंट्स और नवपंजीकृत अधिवक्ताओं के लिए एक कड़ी चेतावनी है – कि पेशे में प्रवेश के सभी वैधानिक प्रावधानों का पालन अनिवार्य है, अन्यथा परिणाम गंभीर हो सकते हैं।