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पांच साल की बच्ची की नागरिकता पर हाईकोर्ट का केंद्र को फैसला लेने का आदेश

चंडीगढ़: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अनूठे मामले में केंद्र सरकार को पांच साल की बच्ची की नागरिकता पर विचार करने का निर्देश दिया है। यह बच्ची एक भारतीय मां और पाकिस्तानी पिता की संतान है, जिसका जन्म पाकिस्तान में हुआ था। मां के तलाक के बाद वह भारत लौट आई, लेकिन बच्ची की नागरिकता को लेकर अब कानूनी पेंच फंस गया है।

भारतीय मां, पाकिस्तानी पिता – बच्ची की अनिश्चित भविष्य

इस मामले की याचिकाकर्ता पंजाब के मलेरकोटला की निवासी गुलफशा हैं, जिन्होंने 14 फरवरी 2019 को एक पाकिस्तानी नागरिक से शादी की थी। शादी के बाद वे पाकिस्तान में बस गए, लेकिन गुलफशा ने अपनी भारतीय नागरिकता नहीं छोड़ी। यह विवाह ज्यादा समय तक नहीं चला और मुस्लिम कानून के तहत पति ने उन्हें तलाक दे दिया। इसके बाद गुलफशा अपनी पांच साल की बेटी हादिया अफरीदी के साथ भारत लौट आईं।

बच्ची के पाकिस्तान में जन्म होने के कारण उसकी नागरिकता पाकिस्तानी ही मानी जा रही है, जबकि वह अपनी मां के साथ भारत में रह रही है। इसी दौरान, बच्ची के पाकिस्तानी पिता ने उसकी कस्टडी के लिए कानूनी लड़ाई शुरू कर दी है।

बच्ची के भारत में रहने की अवधि बढ़ाने की मांग

गुलफशा ने अपनी बेटी हादिया अफरीदी की ओर से भारत सरकार के विदेश मंत्रालय को 31 जनवरी 2025 को एक विस्तृत आवेदन दिया था, जिसमें बच्ची के भारत में रहने की अवधि बढ़ाने और उसे भारतीय नागरिकता देने की मांग की गई थी। लेकिन इस पर कोई निर्णय न होने के चलते यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा।

हाईकोर्ट का केंद्र सरकार को आदेश

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान भारत सरकार के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन ने कहा कि यदि सरकार को उचित समय दिया जाए, तो वह इस आवेदन पर निर्णय लेगी। मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस कुलदीप तिवारी ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह इस आवेदन पर पूरी सहानुभूति के साथ विचार करे और तीन महीने के भीतर उचित फैसला ले।

अब इस फैसले पर सबकी निगाहें टिकी हैं कि भारत सरकार बच्ची की नागरिकता को लेकर क्या निर्णय लेती है।

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