
तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने शनिवार को नौवें दिन श्रीराम कथा को भगवान के चांदी के विग्रह का अभिषेक करने बाद विश्राम दिया। उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद उन्होंने गंगा तट के किनारे कथा करने और भगवान के अभिषेक का संकल्प लिया था। इस संकल्प को उन्होंने पूरा किया और कहा कि राजाराम से वह दक्षिणा के रूप में पाक अधिकृत कश्मीर की मांग किए हैं। जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि उनको जिस दिन दक्षिणा मिलेगी आज की ही तरह वह फिर से गंगा तट पर आएंगे और भगवान का अभिषेक करेंगे।





कथा को विश्राम देने से पूर्व स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि श्रीराम कथा मर्यादित जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं। गंगा रूपी श्री राम कथा अपने पुण्य प्रवाह से लोगों का उद्धार करती है। श्री राम कथा जनरूपी गंगा है। उन्होंने कहा कि श्री राम कथा जीवन जीने की एक उत्तम कला है। भगवान श्री राम ने अपने जीवन में जो आदर्श स्थापित किए, वह समाज को प्रेरणा देने वाले हैं। इसलिए भगवान श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए।
भगवान श्री राम और सीता माता के अलौकिक जीवन का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम ने सीता माता की तुलना देवी से की। वहीं उन्होंने समाज में जन आकांक्षाओं को स्थापित करने के लिए सीता माता की अग्नि परीक्षा भी कराई। अग्नि भी चंदन बन गई यानी प्रभु राम की कृपा से अग्नि ने भी शीतलता प्राप्त कर ली।
प्रभु राम के अलौकिक और दिव्य रूप का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम कमल के समान सुंदर हैं, तभी उनके नयनों को कमलनयन कहा गया है। प्रभु श्री राम ऐसे अवतार महापुरुष हैं, जो भक्तों की कृपा से तृप्त हैं। तुलसी पीठाधीश्वर ने कहा कि प्रभु राम ने रावण का वध करके लंका पर विजय प्राप्त की और असत्य पर सत्य की विजय हुई। विभीषण ने राम रूपी गंगा में स्नान करके अपने जीवन को धन्य कर दिया।
कथा के दौरान मुख्य यजमान प्रशांत शर्मा और अचिन अग्रवाल, मुख्य संयोजक नितिन माना, नमित गोयल, सुनील अग्रवाल गुड्डू, अंकित गोयल, अखिलेश शिवपुरी, गगन, गौरव गुप्ता आदि मौजूद रहे।