उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट की रोक, आरक्षण नियमावली के नोटिफिकेशन पर उठे सवाल, सरकार से जवाब तलब

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उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर फिलहाल विराम लग गया है। नैनीताल हाईकोर्ट ने आरक्षण रोटेशन प्रक्रिया को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के बाद चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है कि बिना स्पष्ट नियमावली के अधिसूचना कैसे जारी की गई।

उत्तराखंड हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ ने सोमवार को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर रोक लगाने का बड़ा फैसला सुनाया। यह फैसला आरक्षण रोटेशन प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के बाद लिया गया।

याचिकाकर्ता गणेश दत्त कांडपाल (बागेश्वर निवासी) व अन्य ने कोर्ट में कहा कि राज्य सरकार ने 9 जून 2025 को नई नियमावली लागू की और 11 जून को एक और आदेश जारी कर पुराने आरक्षण रोटेशन को शून्य घोषित कर दिया। इसके तहत कुछ सीटों को लगातार चौथी बार भी आरक्षित कर दिया गया, जिससे कई वर्गों के लोगों का चुनाव लड़ना असंभव हो गया।

कोर्ट ने 20 जून को ही राज्य सरकार को स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया था, लेकिन 23 जून तक सरकार जवाब नहीं दे सकी। इसके उलट 21 जून को राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी। इसी बात को गंभीर मानते हुए कोर्ट ने पूरे चुनावी कार्यक्रम पर अंतरिम रोक लगा दी है।

राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने 21 जून को प्रेसवार्ता कर बताया था कि 12 जिलों में चुनाव होने हैं (हरिद्वार को छोड़कर)। पंचायती राज सचिव की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, नामांकन 25 से 28 जून के बीच होना था और दो चरणों में 10 और 15 जुलाई को मतदान प्रस्तावित था। 19 जुलाई को परिणाम आने थे।

राज्य सरकार ने कोर्ट में कहा कि इसी विषय पर कुछ याचिकाएं हाईकोर्ट की एकलपीठ के समक्ष भी लंबित हैं। इस पर याचिकाकर्ताओं की ओर से बताया गया कि उन्होंने केवल 11 जून के आदेश को नहीं बल्कि 9 जून की नियमावली को भी चुनौती दी है, जिससे मामला खंडपीठ के अधिकार क्षेत्र में आता है।

अब जब तक हाईकोर्ट की तरफ से अगला आदेश नहीं आता, तब तक उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया ठप रहेगी। कोर्ट ने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है कि बिना पूरी पारदर्शिता के चुनाव कार्यक्रम कैसे घोषित किया गया।

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