
हाईकोर्ट ने सरकार को सरकारी वकीलों के लिए बीमा योजना बनाने पर विचार करने की सलाह दी है.साथ ही राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का भी आदेश दिया है…





हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को सलाह दी है, कि वह सरकारी वकीलों के लिए बीमा योजना बनाने पर विचार करे. इसके पूर्व न्यायालय ने पूछा था, कि सरकार के पास हाईकोर्ट के सरकारी वकीलों के लिए ऐसी कोई योजना है, जिससे दुर्घटना आदि की स्थिति में उन्हें आर्थिक मदद की जा सके. इसके जवाब में न्यायालय को बताया गया, कि फिलहाल ऐसी कोई स्कीम नहीं है. न्यायालय ने इसे गंभीर मुद्दा मानते हुए, राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने अधिवक्ता एचपी गुप्ता की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया है. याचिका में हाईकोर्ट में बतौर स्टैंडिग काउंसिल तैनात नीरज चैरसिया के साथ हुई दुर्घटना के बाद इलाज में उनके परिवार के समक्ष आ रही आर्थिक समस्या का मुद्दा उठाया गया है।
सुनवाई के दौरान अपर महाधिवक्ता कुलदीप पति त्रिपाठी ने न्यायालय को बताया, कि नीरज चौरसिया के इलाज में सहायता के लिए मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से मदद का अनुरोध किया गया है. जिसके लिए एक औपचारिक प्रार्थना पत्र दिए जाने की आवश्यकता है. इस पर याची की ओर से कहा गया, कि वह अपर महाधिवक्ता को परिवार से प्रार्थना पत्र दिला देंगे. वहीं, अवध बार के अध्यक्ष आरडी शाही ने न्यायालय को बताया कि बार के कार्यकारी समिति की बैठक में अधिवक्ताओं के ग्रुप इंश्योरेंस पर चर्चा की जाएगी।