पंजाब की जेलों को लेकर सुनवाई शुरू होते ही पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने जेल से पार्टियों के वीडियो वायरल होने पर सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आखिर जेलों में ये हो क्या रहा है? जेल में कैदी पार्टी कर रहे हैं और अदालत में पेश होकर एडीजीपी को शर्मिंदा होना पड़ रहा है। इसे रोकना बेहद जरूरी है। यदि यह नहीं रुका तो हमें बेहद कड़े आदेश जारी करने को मजबूर होना पड़ेगा।
लॉरेंस बिश्नोई के हिरासत में इंटरव्यू के मामले में सुनवाई आरंभ होते ही हाईकोर्ट ने कहा कि लगातार जेल से वीडियो आने के मामले बढ़ रहे हैं। जेल में पार्टियां हो रहीं हैं और उनके वीडियो बनाकर बाकायदा सोशल मीडिया पर डाले जा रहे हैं। जेलों में मोबाइल फोन मिलने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। एडीजीपी कभी किसी अदालत में तो कभी किसी में तलब किए जा रहे हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि यह शर्मिंदगी का विषय है और जेलों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल को रोकना बेहद जरूरी है। हाईकोर्ट ने कहा कि इसके लिए सरकार जल्द प्रभावी कदम उठाए वरना हमें बेहद सख्त आदेश जारी करने को मजबूर होना पड़ेगा।
सुनवाई के दौरान आदेश के अनुसार पंजाब सरकार ने जेलों में जैमर, सीसीटीवी, नाइलॉन नेट, बॉडी स्कैनर आदि का काम पूरा करने के लिए समय सीमा सौंपी। छह माह से डेढ़ वर्ष की समय सीमा को हाईकोर्ट ने अस्वीकार करते हुए नए सिरे से समय सीमा तय करने का सरकार को आखिरी मौका दिया है। हाईकोर्ट ने इस दौरान केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि जिन कार्यों को पूरा करने में केंद्र सरकार की मंजूरी जरूरी है वहां यह सुनिश्चित किया जाए कि इस कार्य में समय न लगे। हाईकोर्ट ने कहा कि जेलों से विचाराधीन कैदी पीड़ितों को वीडियो कॉल कर रहे हैं, इससे बुरा और क्या हो सकता है।
लॉरेंस के जेल इंटरव्यू को लेकर दो एफआईआर दर्ज, जांच शुरू
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया कि लॉरेंस बिश्नोई के हिरासत में दो इंटरव्यू हुए थे और दोनों की जांच के लिए दो एफआईआर दर्ज की गई हैं। इस मामले में हाईकोर्ट के आदेश पर गठित एसआईटी जांच शुरू कर चुकी है। लॉरेंस के इंटरव्यू को सोशल मीडिया से हटाया जा चुका है। हाईकोर्ट ने कहा कि अभी एसआईटी को जांच के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए इसलिए उन्हें फिलहाल निर्देश की आवश्यकता नहीं है।