देहरादून/हरिद्वार। संवाददाता।
हरिद्वार स्थित मनसा देवी मंदिर में भगदड़ हादसे के दो दिन बाद उत्तराखंड शासन ने मंदिरों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सख्त रुख अपनाया है। मंगलवार 29 जुलाई को सचिवालय में मुख्य सचिव आनंद वर्धन की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में प्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थलों को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
मंदिरों से हटेगा अतिक्रमण
बैठक में तय किया गया कि प्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थलों और उनके पैदल मार्गों पर बने अवैध अतिक्रमण को हटाया जाएगा। मंदिर परिसर और आसपास की अवैध दुकानों को चिन्हित कर उन्हें तत्काल हटाने के निर्देश जिलाधिकारियों को जारी कर दिए गए हैं।
भीड़ प्रबंधन में लगेगी तकनीक
मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए तकनीक आधारित भीड़ प्रबंधन तंत्र विकसित किया जाए। इसके तहत प्रत्येक धार्मिक स्थल के लिए अलग-अलग रूट प्लान और सर्कुलेशन प्लान तैयार किए जाएंगे, ताकि अचानक भीड़ बढ़ने की स्थिति में श्रद्धालुओं को नियंत्रित किया जा सके।
पहले चरण में 5 मंदिर चिन्हित
प्रथम चरण में नीलकंठ महादेव, मनसा देवी, चंडी देवी, कैंची धाम और पूर्णागिरि मंदिर का विशेषज्ञों की मदद से सुरक्षा और प्रबंधन संबंधी विस्तृत अध्ययन कराया जाएगा। इन स्थलों पर स्थायी और अस्थायी व्यवस्थाएं विकसित करने के लिए इंजीनियरिंग और तकनीकी विशेषज्ञों की सहायता ली जाएगी।
हादसे में गई थीं 8 जानें
गौरतलब है कि रविवार 27 जुलाई को सुबह करीब 9 बजे मनसा देवी मंदिर की सीढ़ियों पर अचानक भगदड़ मच गई थी। इस हादसे में आठ श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी, जबकि 30 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। हादसे के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरिद्वार पहुंचकर घटनास्थल का निरीक्षण किया और पूरे मामले की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए।
सरकार का मानना है कि धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए सुरक्षा के लिए ठोस रणनीति बनाना जरूरी है। बैठक में लिए गए निर्णय इसी दिशा में एक बड़ा कदम माने जा रहे हैं।