
उत्तराखंड निकाय चुनाव 2025 में जहां एक ओर वोटरों में भारी उत्साह है, वहीं दूसरी ओर एक चौंकाने वाली घटना ने सबका ध्यान खींचा है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत मतदान से वंचित रह गए।





हरीश रावत, जो देहरादून नगर निगम के वार्ड नंबर 76 के मतदाता हैं, सुबह अपने मतदान केंद्र पहुंचे। लेकिन जब उनके कार्यकर्ताओं ने मतदाता सूची में उनका नाम तलाशा, तो पता चला कि उनका नाम सूची में है ही नहीं।
हरीश रावत ने इस पर अफसोस जताते हुए कहा कि उन्हें पहले ही इस बात की जांच कर लेनी चाहिए थी।
हरीश रावत का बयान:- “मैं वोट डालने के लिए बहुत उत्साहित था, लेकिन मेरा नाम ही सूची में नहीं है। मैं सभी मतदाताओं से अपील करता हूं कि वे अपनी मतदाता सूची को समय रहते चेक करें।”
हरीश रावत ने निर्वाचन आयोग से बातचीत की, लेकिन तकनीकी समस्या का हवाला देते हुए स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई, हरीश रावत ने भाजपा पर भी सवाल उठाए और कहा कि चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी की आशंका हमेशा बनी रहती है।
राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से इस मामले में अभी तक कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है। लेकिन एक वरिष्ठ नेता का नाम सूची से गायब होना प्रशासनिक लापरवाही की ओर इशारा करता है।
हरीश रावत का यह मामला न सिर्फ प्रशासनिक तैयारियों पर सवाल उठाता है, बल्कि यह सभी मतदाताओं के लिए एक चेतावनी भी है। मतदान प्रक्रिया को लेकर जागरूकता और सतर्कता बेहद जरूरी है।
ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि क्या लोकतांत्रिक प्रक्रिया में इस तरह की गड़बड़ी पर प्रशासन ध्यान देगा या इसे महज एक तकनीकी समस्या मानकर टाल दिया जाएगा?