*”भड़काऊ भाषण पर 5 साल की सजा, नाबालिग से गैंगरेप पर मृत्युदंड”… लोकसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पेश किए 3 बिल….*

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गृह मंत्री अमित शाह ने आपराधिक कानून संशोधन से जुड़े तीन नए बिल लोकसभा में पेश किए हैं। लोकसभा में सीआरपीसी, आईपीसी की जगह भारतीय न्यायिक संहिता विधेयक-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक-2023 पेश किया गया है…

गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में तीन नए बिल पेश किए. सीआरपीसी और आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता बिल 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को सदन के पटल पर रखा. अमित शाह का कहना है कि इन्हें लाने का लक्ष्य आपराधिक कानूनों में सुधार करना है. इनके जरिए कानून व्यवस्था को बेहतर और सरल बनाया जाएगा।

 

इन विधेयकों को गृहमंत्री अमित शाह ने मानसून सत्र में पेश किया था. जिसके बाद उन्हें संसदीय स्थायी समिति के पास भेजा गया. जानिए इनके लागू होने पर क्या-क्या बदलाव होगा.

 

पुराने कानून से क्या समस्या थी, पहले इसे समझें

कानून में IPC, CRPC और इंडियन एविडेंस एक्ट से ऐसे नियम जुड़े हैं जिससे देश में न्याय की प्रक्रिया पर बोझ बढ़ रहा है. इसे कम करने के लिए नए बिल लाए गए हैं. वर्तमान में आर्थिक रूप से पिछड़े लोग न्याय से वंचित रह जाते हैं और ज्यादातर मामलों में दोषी साबित नहीं हो पाते. नतीजा, जेल में कैदियों की संख्या बढ़ रही है. इसे कम करने के लिए नए बिल लाए गए हैं. ये बिल कानून का रूप लेते हैं तो जटिलताएं कम होंगी।

 

नए बिल में कितना बदलाव हुआ?

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023: इसमें 533 धाराओं को शामिल किया गया है. ये सीआरपीसी की 478 धाराओं की जगह लेंगी. 160 धाराओं में बदलाव किया गया है. इसके अलावा 9 नई धाराएं जुड़ी हैं और 9 पुरानी धाराओं को हटाया गया है।

भारतीय न्याय संहिता 2023: इसमें आईपीसी की 511 धाराओं की जगह 356 धाराएं लेंगी. इसमें कुल 175 धाराओं में चेंजेस किए गए हैं. बिल में 8 नई धाराओं को जोड़ा गया है और 22 धाराओं को निरस्त किया गया है।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023: इसमें 167 पुरानी धाराओं की जगह 170 धाराएं रहेंगी. इसके अलावा इसकी 23 धाराओं में बदलाव किया गया है. 1 नई धारा को शामिल किया गया और 5 धाराओं को हटा दिया गया है।

आसान भाषा में ऐसे समझें 15 बड़े बदलाव

भड़काऊ भाषण पर 5 साल की सजा: भड़काऊ भाषण और हेट स्पीच को अपराध के दायरे में लाया गया है. अगर कोई इंसान ऐसे भाषण देता है तो उसे तीन साल की सुनाई जाएगी. इसके साथ जुर्माना भी लगेगा. अगर भाषण किसी धर्म या वर्ग के खिलाफ होता है तो 5 साल की सजा का प्रावधान है.

गैंगरेप में दोषी को आजीवन कारावास: नए बिल के तहत गैंगरेप के दोषियों को 20 की सजा या आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा सकती है. अगर दोषी 18 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ ऐसा करता है तो उसे मृत्युदंड देने का प्रावधान है..

मॉब लिंचिंग पर 7 साल की सजा: अगर 5 या इससे ज्यादा लोगों का समूह किसी की जाति, समुदाय, भाषा और जेंडर के आधार पर हत्या करता तो हर दोषी को मौत या कारावास की सजा दी जाएगी. वहीं, इस मामले से जुड़े दोषी को कम से कम 7 साल की सजा के साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

भगौड़ों की अनुपस्थिति में जारी रहेगा ट्रायल: भगौड़े देश में हों या नहीं, दोनों की मामलों में ट्रायल जारी रहेगा. उनकी सुनवाई होगी और सजा सुनाई जाएगी.

मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलेगी: नए बिल में एक बड़ा प्रावधान यह भी जोड़ा गया है कि अगर दोषी को मौत की सजा दी जाती है तो उसकी सजा को आजीवन कारावास में बदला जा सकेगा.

कोर्ट देगा कुर्की का आदेश: अगर किसी मामले में संपत्ति की कुर्की होती है तो उसका आदेश कोर्ट देगा, पुलिस का कोई अधिकारी नहीं.

ऑनलाइन मिलेगी मुकदमों की जानकारी: आम इंसान को एक क्लिक पर मुकदमों की जानकारी मिल सकेगा, इसलिए 2027 तक देश की सभी कोर्ट को ऑनलाइन कर दिया जाएगा ताकि मुकदमों का ऑनलाइन स्टेटस मिल सके.

गिरफ्तारी हुई तो देनी होगी परिवार को सूचना: किसी भी मामले में आरोपी को गिरफ्तार किया जाता है तो उसकी सूचना परिवार को देना अनिवार्य होगा. इतना ही नहीं, 180 दिन के अंदर जांच को खत्म करके लिए ट्रायल के लिए भेजना होगा.

120 दिन में आएगा ट्रायल का फैसला: किसी पुलिस अधिकारी के खिलाफ कोई ट्रायल चलाया जा रहा है तो इसको लेकर 120 दिन में अंदर फैसला लेना होगा. यानी न्यायिक मामलों की रफ्तार बढ़ेगी।

बहस पूरी हुई तो एक माह में अंदर आएगा फैसला: अगर किसी मुकदमे में बहस खत्म हो चुकी है तो एक महीने के अंदर कोर्ट को फैसला देना होगा. फैसले की तारीख के 7 दिन के अंदर इसे ऑनलाइन उपलब्ध भी कराना होगा.

चार्जशीट 90 दिन में फाइल होगी: बड़े और गंभीर अपराध से जुड़े मामले में पुलिस को तेजी से काम करना होगा. उन्हें 90 दिन के अंदर चार्जशीट को फाइल करना होगा. अगर कोर्ट मंजूरी देती है तो समय 90 दिन तक बढ़ाया जा सकता है.

पीड़िता के बयान की रिकॉर्डिंग: अगर मामला यौन हिंसा से जुड़ा है कि पीड़िता के बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग होगी. यह अनिवार्य होगा.

क्राइम सीन पर फॉरेंसिक टीम अनिवार्य: ऐसे अपराध जिसमें 7 साल या इससे अधिक की सजा का प्रावधान है, उनमें क्राइम सीन पर फॉरेंसिक टीम का पहुंचना अनिवार्य होगा.

बिना गिरफ्तारी के लिया जाएगा सैम्पल: अगर किसी मामले में ब्लड सैम्पल लिया जाना है तो उसके लिए गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं होगी. मजिस्ट्रेट के ऑर्डर के बाद आरोपी की हैंडराइटिंग, वॉयस या फिंगर प्रिंट के सैम्पल लिए जा सकेंगे.

अपराधी का रिकॉर्ड होगा डिजिटल: हर पुलिस स्टेशन और जिले में एक ऐसा अधिकारी नियुक्त किया जाएगा जो अपराधियों के काले चिट्ठे का रिकॉर्ड रखेगा।

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