*”डीएम नहीं दे सकता एफआईआर दर्ज करने का आदेश”, जानिए किस मामले में हाईकोर्ट ने लगाई फटकार…*

Share the news

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जिलाधिकारी बलरामपुर द्वारा गैदास बुजुर्ग थाने के तत्कालीन प्रभारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिए जाने के मामले में असहमति जतायी है. कोर्ट ने कहा है, कि जिलाधिकारी को एफआईआर दर्ज कराने के लिए आदेश देने का अधिकार नहीं है. इसी के साथ न्यायालय ने तत्कालीन थाना प्रभारी के खिलाफ पारित जिलाधिकारी के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है।

यह आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की खंडपीठ ने पवन कुमार कन्नौजिया की सेवा सम्बंधी याचिका पर पारित किया है. याची ने जिलाधिकारी बलरामपुर द्वारा 30 अप्रैल को उसके खिलाफ पारित आदेश को चुनौती दी है. इस आदेश में जिलाधिकारी ने याची के खिलाफ एफआईआर लिखने, विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि करने और अन्य सेवा सम्बंधी प्रतिकूल आदेश दिये थे. आदेश को चुनौती देते हुए याची की ओर से दलील दी गई, कि जिलाधिकारी को इस प्रकार के आदेश पारित करने का क्षेत्राधिकार नहीं है. लिहाजा उक्त आदेश निरस्त किए जाने योग्य है।

वहीं, राज्य सरकार के अधिवक्ता ने यूपी पुलिस रेग्युलेशन्स के प्रावधानों का हवाला देते हुए दलील दी, कि जिलाधिकारी का आदेश रेग्युलेशन 484 और 486 के प्रावधानों के अनुरूप है. हालांकि, न्यायालय ने इसमें प्रथम दृष्टया असहमति जताते हुए कहा, कि शीर्ष अदालत ने नमन सिंह मामले में स्पष्ट किया है, कि दंड प्रक्रिया संहिता में कार्यकारी मजिस्ट्रेट की ऐसी कोई शक्ति नहीं दी गई, है जिसके तहत वह प्राइवेट शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश पुलिस को दे सके. न्यायालय ने कहा, कि मामले में विचार की आवश्यकता है. लिहाजा, सरकार चार सप्ताह इस प्रकरण में अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *