
दिल्ली हाईकोर्ट ने वकील को बलात्कार पीड़िता की ओर से उसके द्वारा दायर आपराधिक अपील में हाईकोर्ट के साथ-साथ जिला न्यायालयों के जजों के खिलाफ “अपमानजनक आरोप” और “निंदनीय आरोप” लगाने के लिए अदालत की अवमानना का दोषी पाते हुए छह महीने जेल की सजा सुनाई।





जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस शैलेंदर कौर की खंडपीठ ने वकील को तिहाड़ जेल में 6 महीने की अवधि के लिए साधारण कारावास और 2,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।
कोर्ट ने वकील से माफी मांगने को कहा था
हालांकि वकील को अवमानना मामले में माफी मांगने को कहा गया था, लेकिन वकील अपने आरोपों पर बना हुआ था। वकील ने दावा किया कि जज आरोपी शख्स को लेकर पक्षपात कर रहे हैं। इसके बाद अदालत ने पाया कि वह अपने बयान पर कायम है, तब उसे अवमानना का दोषी ठहराया गया। पीठ ने तिहाड़ जेल ले जाने से पहले वकील के अनुरोधों को पूरा करने के लिए पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया है।
वकील को कोर्ट ने नोटिस जारी किया था
वकील ने आपराधिक अपील में निचली अदालत और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ आरोप लगाए थे। इसके बाद उसपर अवमानना की कार्रवाई शुरू की गई थी। एकल न्यायाधीश ने वकील को नोटिस जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि वकील ने जानबूझकर अदालत की गरिमा और सम्मान को कम करने की कोशिश की है।