
किसानों के प्रदर्शन और मार्च के बीच शंभू बॉर्डर पर काफी हंगामा देखने को मिला. दिल्ली की तरफ की बढ़ने की अपनी कोशिश के तहत जहां किसान कभी पुलिस के बैरिकेड को जबरन हटाए गए. तो वहीं युनाओं के हाथ में आत्मरक्षा के लिए लाठियां भी दिखाई दी..





शंभू बॉर्डर पर फिर हालात नाजुक हो गए हैं, किसानों पर फिर आंसू गैस के गोले दागे गए हैं। वहीं, पुलिस के तरफ से खनौरी बॉर्डर पर ड्रिल किया जा रहा है और बिजली के खंबे लगाए जा रहे हैं जिससे शाम होने के बाद अंधेरा ना हो और लाइट की पूरी व्यवस्था रहे। दरअसल, यह पूरा इलाका खेतों के बीचों-बीच है। इसलिए यहां शाम होने के बाद अंधेरा हो जाता है। अंधेरे में झड़प या हिंसा ना हो, इसलिए पुलिस हर तरफ से तैयारी कर रही है।
दिल्ली चलो मार्च का चौथे दिन
हरियाणा पुलिस ने शुक्रवार को प्रदर्शनकारी किसानों के अंबाला के पास शंभू सीमा पर अवरोधक की ओर बढ़ने के बाद उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। हालिया टकराव फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर किसानों के दिल्ली चलो’ मार्च के चौथे दिन हुआ।
पंजाब के प्रदर्शनकारी किसान हरियाणा के साथ लगती राज्य की सीमा पर दो बिंदुओं शंभू और खनौरी पर रुके हुए हैं। प्रदर्शन के पहले दो दिन भी किसानों और हरियाणा पुलिस के जवानों के बीच झड़पें हुई।
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर अपनी मांगों को लेकर दबाव बनाने के लिए दिल्ली चलो’ मार्च का आह्वान किया था।
पंजाब के किसानों ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च शुरू किया लेकिन सुरक्षा कर्मियों ने शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर उन्हें रोक दिया था। एमएसपी की कानूनी गारंटी के अलावा किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं, पुलिस मामलों को वापस लेने और 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए “न्याय, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की बहाली और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा दिए जाने की मांग कर रहे हैं।