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उत्तर प्रदेश की सभी जेलों में अब हनुमान चालीसा और सुंदरकांड पाठ की गूंज सुनाई देने वाली है। इसको लेकर जेल मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने कहा कि किसी भी कैदी को जबरदस्ती हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करने के लिए नहीं कहा जा रहा है, जिसका मन हो वो पढ़े। इसके साथ ही जेल मंत्री ने यह भी कहा कि जिस कैदी की जिसमें आस्था है, उसके लिए जेल में आजादी है। उन्होंने बताया कि जेल में बंद मुस्लिम समाज के कैदियों के नमाज पढ़ने की भी आजादी है।

जेल मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने बताया कि कैदी स्वेच्छा से शनिवार और मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। नवरात्र में जब हम लोग जेलों में मिष्ठान और फल वितरण करने गए थे, उस समय हमारे पास सुंदरकांड की कुछ किताबें थी। वो सुंदरकांड की किताबें जब कैदियों को बांटी तो उसको लेकर स्पर्धा देखने को मिला। जेल मंत्री ने कहा कि उस समय हमारे पास सुंदरकांड की किताबें कैदियों की अपेक्षा कम थी। ऐसे ही जब हमने मथुरा और आगरा की जेल में सुंदरकांड की किताबें बांटी तो वहां भी कैदियों में स्पर्धा देखने को मिली थी।

 

जेल में अच्छा नागरिका बनाने की कोशिश

जेल मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने कहा कि ऐसा कोई उद्देश्य नहीं है कि जबरदस्ती किसी को हनुमान चालीसा और सुंदरकांड पढ़ने के लिए कहा जा रहा है। स्वेच्छा से जो लोग हनुमान चालीसा या सुंदरकांड पढ़ते हैं, वो पढ़े। लेकीन कैदी जेलों में रहकर भी शनिवार और मंगलवार को हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करते हैं। जेल मंत्री ने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि जो कैदी जिस धर्म को मानता हो उसका वो अनुसरण करें, उससे जुड़ी किताबें पढ़ना चाहे तो किताबे पढ़े और मंत्र का जप करना चाहे तो मंत्र का जप करें। हम चाहते हैं कि कैदियों की आपस और केस को लेकर जो चर्चा है उस चर्चा से कैदी बचें। एक अच्छे नागरिक बनकर जेल से बाहर जाए, ताकि फिर ऐसा कोई काम ना करे जिससे उनको फिर से जेल आना पड़े।

जेल में नमाज पढ़ने की भी व्यवस्था

इसके साथ ही आजमगढ़ की जेल में बंद कैदियों से संवाद करते हुए कारागार मंत्री ने कहा कि जेलों में बंद मुस्लिम समाज के कैदी जेल में नमाज पढ़ते हैं। नमाज पढ़ने के लिए जेल में जगह होती है। इसलिए ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ किसी एक धर्म के लिए ऐसी बाते हो रही है। धर्मवीर प्रजापति ने इसको लेकर कहा कि सभी धर्मों के लोग जो जेल में बंद है, वो अपना पूजा-पाठ अपने स्तर से करते हैं। जेल में पूजा पाठ अपने तरीके से करने की आजादी है। इसलिए जो हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहे वो हनुमान चालीसा का पाठ करे और जो सुंदरकांड का पाठ करना चाहे वो सुंदरकांड का पाठ करें।

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