
रुद्रपुर से एक बड़ी खबर सामने आई है, जहां अपर जिलाधिकारी नजूल और प्रशासन पंकज उपाध्याय की कोर्ट ने पंजाब नेशनल बैंक को बड़ा झटका देते हुए सरफेसी एक्ट की धारा 14 के तहत दायर प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने ऋणी को छह माह के भीतर शेष बकाया राशि जमा करने का अंतिम अवसर भी प्रदान किया है।





रुद्रपुर निवासी अर्पित राज कक्कड़ ने वर्ष 2020 में रेडीमेड गारमेंट्स व्यापार के लिए पंजाब नेशनल बैंक से 17 लाख रुपये का ऋण लिया था। उन्होंने अपने माता-पिता की अचल संपत्ति को गिरवी रखा। कोरोना काल में व्यापार प्रभावित हुआ, लेकिन उन्होंने 10 लाख रुपये की किश्त चुका दी, बकाया राशि समय पर न चुकाने पर बैंक ने उनके ऋण खाते को 29 फरवरी 2024 को एनपीए घोषित कर दिया और 8 अक्टूबर 2024 को संपत्ति को 28.54 लाख रुपये में नीलाम करने की सूचना दे दी।
ऋणी की आपत्ति थी कि संपत्ति का बाजार मूल्य 70 लाख रुपये से अधिक है, जो स्वतंत्र मूल्यांकन रिपोर्ट में भी सिद्ध हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि बैंक अधिकारियों ने संपत्ति को कम कीमत पर बेचने की साजिश रची।
कोर्ट ने तहसीलदार की रिपोर्ट और दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पाया कि बैंक ने संपत्ति का मूल्य कम आंकने के साथ ऋणी को विधिवत नोटिस भी नहीं भेजा। इतना ही नहीं, बैंक ने एक झूठा शपथ पत्र दाखिल किया कि मामला किसी अन्य न्यायालय में विचाराधीन नहीं है।
कोर्ट ने यह भी माना कि ऋणी ने पहले ही दो ड्राफ्ट के माध्यम से 10 लाख रुपये कोर्ट में जमा कराए थे, और 5 लाख रुपये पहले ही बैंक को दिए जा चुके थे।
कोर्ट ने आदेश दिया है कि जमा ड्राफ्ट बैंक को प्रदान किए जाएं और इन्हें ऋण खाते में समायोजित किया जाए। साथ ही ऋणी को छह माह की अंतिम मोहलत दी गई है कि वह शेष बकाया राशि जमा करें।
यह फैसला उन ऋणकर्ताओं के लिए मिसाल बन सकता है जो महामारी के कारण आर्थिक संकट में फंसे हैं। अब देखना होगा कि ऋणी इस राहत के बाद क्या अगला कदम उठाते हैं।