
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से एक बड़ी खबर सामने आई है, जहां दो दिवसीय राष्ट्रीय चिंतन शिविर का आयोजन किया गया। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग द्वारा आयोजित इस शिविर में देश के 19 राज्यों के कैबिनेट मंत्री और 34 राज्यों के अधिकारी शामिल हुए।





चिंतन शिविर के दौरान देशभर में तेजी से फैल रहे नशे के जाल को लेकर गहरी चिंता जताई गई। मंत्रियों ने सुझाव दिया कि अगर कोई व्यक्ति नशे के कारोबार में पकड़ा जाता है, तो उसे सरकारी योजनाओं और नौकरियों से वंचित किया जाए। साथ ही उसके खिलाफ कठोर सजा का प्रावधान भी किया जाए। उनका मानना है कि जब तक ऐसे अपराधियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होती, तब तक नशे को जड़ से मिटा पाना मुश्किल है।
सिक्किम के सोशल वेलफेयर मंत्री समदुप लेप्चा ने कहा कि नशा मुक्त भारत के लिए केवल जागरूकता ही नहीं, बल्कि सख्त कानून की भी जरूरत है। उन्होंने कहा कि तस्करों के बिजनेस पर भी रोक लगनी चाहिए और परिवार को भी सरकारी सुविधाओं से वंचित किया जाना चाहिए।
मध्यप्रदेश के मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने बताया कि उनके राज्य में नशा मुक्ति को लेकर कई अभियान चल रहे हैं। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता कैंप लगाए जा रहे हैं ताकि लोग नशे के दुष्परिणाम को समझ सकें।
इस बीच, केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने कहा कि यह मामला गृह मंत्रालय के अधीन आता है, और गृह मंत्रालय सीमावर्ती क्षेत्रों में सख्त निगरानी के साथ-साथ नशा तस्करों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रहा है। साथ ही देशभर में नशा मुक्ति के लिए व्यापक अभियान भी चलाए जा रहे हैं।
चिंतन शिविर में सामाजिक न्याय, अनुसूचित वर्ग, शिक्षा और सफाई कर्मचारियों से जुड़े कई अहम मुद्दों पर भी चर्चा हुई। लेकिन सबसे अहम बात यह रही कि अब नशे के खिलाफ सिर्फ जागरूकता नहीं, बल्कि ठोस और कड़े कदम उठाने की मांग जोर पकड़ रही है।