*Alert” पिछले 500 सालों में नहीं आया देहरादून से काठमांडू के बीच बड़ा भूकंप, लेकिन वैज्ञानिक कर रहे अलर्ट; पढ़िए क्या है वजह….*

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पिछले कुछ दिनों के भीतर नेपाल में कई बार भूकंप आ चुका है. जिसके चलते उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश में भी भूकंप के झटके महसूस किये गये. ऐसे में वैज्ञानिक देहरादून से नेपाल के काठमांडू के बीच बड़ा भूकंप आने की संभावना जाता रहे हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार इस क्षेत्र में पिछले 500 सालों के भीतर कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. ऐसे में इस क्षेत्र में बड़ा भूकंप आने की संभावना है।

देहरादून से काठमांडू के बीच और खासकर नेपाल क्षेत्र में आए दिन भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं. कम मैग्नीट्यूड का भूकंप होने की वजह से इसका ज्यादा असर नहीं पड़ रहा है. जानकार बताते हैं कि पिछले 500 सालों से इस क्षेत्र में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. जिसके कारण इस रीजन के भूगर्भ में काफी एनर्जी एकत्र हो गई है. यह हल्के हल्के भूकंप के जरिए रिलीज हो रही है. अब जानकार किसी बड़े भूकंप का आशंका जता रहे हैं।

वैज्ञानिक डॉ परमेश बनर्जी के अनुसार हिमालई राज्यों में आपदा दो तरह की होती है. जिसमें पहली आपदा भूकंप है. दूसरी आपदा ग्लोबल वार्मिंग जिसमें फ्लड, लैंडस्लाइड शामिल हैं. इन दोनों चीजों को समझने के लिए हमारे पास कैपेसिटी नहीं है. हमारे पास टेक्नोलॉजी, अनुभव है, पर हमारे पास हिमालय की समस्याओं को समझने के लिए इंस्ट्रूमेंट डाटा नहीं है।

हिमालयी क्षेत्र दुनिया में भूकंप और ग्लोबल वार्मिंग के लिहाज से सबसे खतरनाक माना जाता है. इस पर इंस्ट्रूमेंट डाटा से बहुत कम स्टडी की गई है. जब तक इंस्ट्रूमेंट नही लगाएंगे, तब तक डाटा नहीं मिलेगा. जब तक डाटा उपलब्ध नहीं होगी तब तक हिमालय की समस्याओं को नही समझा जाएगा. उन्होंने कहा हमें बेसिक जानकारी तो मिल जाएगी, मगर समस्या के समाधान के लिए पूरी जानकारी जरूरी है. लिहाजा जिस तरह से दुनिया में काम रही है उसी तरह एक ऑब्जरवेटरी बनानी चाहिए. जिसका काम सिर्फ डाटा जनरेट करना हो, ताकि वैज्ञानिक उस डाटा पर रिसर्च कर बेहतर रिजल्ट निकल सके।

देहरादून से काठमांडू तक के क्षेत्र में बड़ा भूपंक आने की संभावना है. पिछले 500 सालों के भीतर इस क्षेत्र में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. जिसे गैप एरिया कहा जाता है. इस एरिया में बहुत ज्यादा एनर्जी एकत्र हो गई है. मौजूदा स्तिथि यही है कि इस क्षेत्र में कभी भी भूकंप आ सकता है. साल 2015 में काठमांडू में गोरखा अर्थक्विक आया था. इसके पांच साल बाद इस क्षेत्र में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया. इसके बाद दो साल में 2 बार बड़े भूकंप आए. फिर साल 2022 में दो बार बड़े भूकंप आए. यही नहीं, साल 2023 में तीन बार बड़े भूकंप आ चुके हैं. भूकंप का टाइम पीरियड घट रहा है. बड़े भूकंप की संख्या बढ़ती जा रहा ही है जो चौंकाने वाली है।

उन्होंने कहाये सभी भूकंप नेपाल में आए, जो उत्तराखंड से जुड़ा हुआ है. संयोगवश उत्तराखंड में भूकंप का ज्यादा असर नहीं हुआ. उन्होंने कहा करीब 6 मैग्नीट्यूड भूकंप की संभावना है लेकिन इसके आने से उत्तराखंड हिमालय में नुकसान होगा. ये किसी बड़े भूकंप का हिस्सा नहीं है. इसके अलावा ये बता पाना संभव नहीं है कि किस दिन, किस समय और किस क्षेत्र में कितने मैग्नीट्यूड का भूकंप आने वाला है. इतना जरूर है कि इंस्ट्रूमेंट मेजरमेंट के जरिए बता सकते हैं कि किसी भी क्षेत्र में अगले 50 साल के भीतर बड़ा भूकंप आने की संभावना करीब 70 फीसदी है, लेकिन इसके लिए बहुत सारा डेटा चाहिए।

इंटरनेशनल साइंस काउंसिल (ISC) के फेलो (fellow) और एटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड (AERB) के मेंबर प्रोफेसर हर्ष गुप्ता ने बताया बड़ा भूकंप कभी भी आ सकता है, लेकिन कब आयेगा और कहां आयेगा इसका सही अनुमान नहीं है. इसके साथ ही वर्तमान समय में कोई फुलप्रूफ स्कीम नहीं है जिससे बता पाए कि बड़ा भूकंप इस समय कहां पर आएगा. अगर भूकंप की भविष्यवाणी कर दी जाए तो तत्काल उस जगह को छोड़कर नहीं जा सकते. ऐसे में जरूरी है कि इसके लिए तैयारी करें. भूकंप के साथ जीना सीखें।

 

पर्वतीय क्षेत्रों में हो रहे विकास कार्यों से भूकंप के ट्रिगर होने के सवाल पर प्रो हर्ष गुप्ता ने बताया विकास कार्यों से भूकंप पर बहुत माइनर असर होता है. भूगर्भ में जो एनर्जी एकत्र हो रही है काफी समय से है. उन्होंने कहा जो भी विकासकार्य कर रहे हैं उसमें सावधानी बरतनी चाहि. उन्होंने कहा लाइफलाइन बिल्डिंग्स (हॉस्पिटल, फायर स्टेशन, स्कूल आदि) को बहुत ज्यादा तवज्जो देनी चाहिए कि वो भूकंपरोधी हों।

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