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दीपावली के मौके पर कॉर्बेट प्रशासन ने एकाएक पार्क के जंगलों में गस्त बढ़ा दी है।

यह गस्त इसलिए बढ़ा दी गई है क्योंकि कॉर्बेट पार्क 1300 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र में फैला हुआ है और दीपावली के आते ही कॉर्बेट पार्क के उजंगलों में रह रहे उल्लुओं पर खतरा मंडराने लगता है।

वैसे तो लोग दीपावली के शुभ मौके पर लोग लक्ष्मी की पूजा करते हैं, परंतु कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अंधविश्वास के चलते मां लक्ष्मी का वाहन कहे जाने वाले उल्लू की जान के पीछे पड़ जाते हैं।

. ऐसा माना जाता है कि तांत्रिक जादू टोना तंत्र-मंत्र और साधना विद्या में उल्लू का प्रयोग करते हैं. उल्लू की बलि दिए जाने से तंत्र मंत्र विद्या को अधिक बल मिलता है. इसकी बलि दी जाने से जादू टोना बहुत कारगार सिद्ध होते हैं.ये अंधविश्वास के चलते उल्लू की एक विलुप्त होती प्रजाति को खतरा बढ़ गया है. यह खतरा तब और अधिक बढ़ जाता है जब दीपावली का त्योहार आता है. हम बात कर रहे है मां लक्ष्मी के वाहन उल्लू की जिसकी जान को इस त्योहार में अधिक खतरा बढ़ जाता है. कहा जाता है कि तांत्रिक दीपावली पर जादू टोना तंत्र-मंत्र और साधना के लिए उल्लू की बलि देकर रिद्धि-सिद्धि प्राप्त करते हैं. वहीं दूसरी ओर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व ने उल्लू की तस्करी करने वालों पर लगाम कसने के लिए जंगल में गश्त बढ़ा दी है.

वहीं जानकर व वन्यजीव प्रेमी कहते है कि उल्लुओं के मारे जाने से ईको सिस्टम पर भी इसका असर पड़ता है. शास्त्रों की नजर से देखें तो उल्लू मां भगवती का वाहन है. उल्लू की आंख में उसकी देह की तीन शक्तियों का वास माना जाता है. उल्लू के मुख्य मंडल, उसके पंजे, पंख, मस्तिष्क, मांस उसकी हड्डियों का तंत्र विद्या में बहुत महत्व माना जाता है जिनका तांत्रिक दुरुपयोग करते हैं. शास्त्रों के जानकारों के अनुसार दीपावली पर मां लक्ष्मी को खुश करके अपने यहां बुलाने के लिए कुछ लोग उल्लू की बलि देते हैं और इस मौके पर लाखों रुपए खर्च करके उल्लू की व्यवस्था करके रखते हैं..

जानकारों की मानें तो दीपावली के समय में उल्लू की मांग अधिक बढ़ जाती है. जिसके चलते लोग उल्लुओं को पकड़ने के लिए जंगलों की ओर रुख करते हैं. बताया जा रहा कि कई प्रदेशों में उल्लू की अधिक मांग होती है. इस अंधविश्वास के चलते दुर्लभ होती प्रजाति पर लोग अत्याचार कर रहे हैं.

जानकार यह भी बताते हैं कि दीपावली मैं आज से लेकर अमावस्या तक सभी दिन साधना के दिन कहे जाते हैं। लोग दिन और रात साधना करते हैं। कुछ लोग अपने कल्याण के लिए इन दोनों सिद्धि करते हैं। और कुछ लोग साधना का दुरुपयोग करते हैं। तांत्रिक जादू टोना आदि तंत्र विद्या के लिए आरोह अवरोह का पाठ करते उल्लू की बलि देते हैं। बावजूद इसके जानकारों का मानना है कि यह सब शास्त्रों में सम्मान नहीं है। लोगों को अपनी वैदिक परंपरा का पालन करते हुए अपना और अपने समाज का कल्याण करना चाहिए। इसके लिए एक निर्बल प्राणी की बलि देना महापाप है और यह आवश्यक नहीं है।

बता दें कि आज के डिजिटल युग में उल्लू जैसे पक्षी की बलि देकर अपने कष्टों को दूर करने की सोच रखने वाले यह भूल जाते हैं कि जिसको वह खुश करने का प्रयास कर रहे हैं असल में वह मां भगवती का वाहन है। मां लक्ष्मी कैसे उनसे प्रसन्न हो सकती है। लेकिन मनुष्य मोह माया उन्नति के चक्कर में पड़ कर सब भूल जाता है। पुन के चक्कर में पाप का भागीदार बन जाता है। यदि मनुष्य को उन्नति के पथ पर चलना है तो उसे अंधविश्वास का चढ़ा चश्मा उतारना होगा और अच्छे कर्म करने पड़ेंगे।

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