उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू होने के बाद एक नया इतिहास रचा गया है। हल्द्वानी के ग्रामीण क्षेत्र में लिव-इन रिलेशनशिप का पहला आधिकारिक रजिस्ट्रेशन दर्ज किया गया है।
एसडीएम परितोष वर्मा ने जानकारी दी कि यह कुमाऊं मंडल का पहला मामला है, जहां ग्रामीण इलाके में किसी लिव-इन कपल ने नए कानून के तहत अपना पंजीकरण कराया है।
बताया गया कि महिला विधवा है और उसका एक बच्चा भी है। यह रजिस्ट्रेशन शुक्रवार को किया गया, और इसे स्वयं एसडीएम ने प्रमाणित किया।
UCC के अंतर्गत अब लिव-इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता दी गई है और शहरी क्षेत्रों में यह जिम्मेदारी नगर आयुक्त को दी गई है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में एसडीएम इसका रजिस्ट्रेशन करेंगे।
उत्तराखंड में 27 जनवरी से UCC लागू है और इसके अनुसार लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले प्रत्येक जोड़े को रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है।
अगर कोई जोड़ा रजिस्ट्रेशन नहीं कराता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इसमें 6 महीने की जेल या 25 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
रजिस्ट्रेशन के बाद कपल को एक रसीद दी जाती है, जिसकी मदद से वे किराये पर घर, हॉस्टल या पीजी में एक साथ रह सकते हैं। साथ ही, रजिस्ट्रेशन की जानकारी रजिस्ट्रार द्वारा माता-पिता या अभिभावकों को देना भी अनिवार्य होगा।
UCC के तहत लिव-इन में जन्मे बच्चों को भी जायज संतान माना जाएगा और उन्हें जैविक संतान के सभी अधिकार प्राप्त होंगे।
कैमरा एंकर पर वापस।
तो उत्तराखंड ने सामाजिक बदलाव की दिशा में एक और मजबूत कदम बढ़ा दिया है। देखना होगा कि आने वाले दिनों में यह नया कानून समाज में किस तरह स्वीकार किया जाता है।