नैनीताल ज़िला पंचायत अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष चुनाव के दौरान हुई हिंसा और फायरिंग को लेकर हाईकोर्ट ने सोमवार को कड़ा रुख अपनाया। अदालत ने नैनीताल पुलिस की भूमिका को बेहद लापरवाह मानते हुए एसएसपी पी.एस. मीणा को कठोर शब्दों में फटकार लगाई और उनके तत्काल ट्रांसफर के आदेश जारी कर दिए।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की कि जब हथियारबंद हिस्ट्रीशीटर खुलेआम घूम रहे थे, तब पुलिस मूकदर्शक क्यों बनी रही। कोर्ट ने साफ कहा कि “अब हमें एसएसपी पर कोई भरोसा नहीं है।”
कोर्ट ने पांचों ‘अपह्रत’ जिपं सदस्यों की कहानी सुनने से इनकार कर दिया और उन्हें कोर्ट को गुमराह करने वाला बताया। वहीं, एडवोकेट जनरल ने पुलिस की गलती स्वीकार करते हुए एसएसपी को एक और मौका देने की अपील की, मगर अदालत ने यह दलील ठुकरा दी।
कोर्ट ने जिलाधिकारी और एसएसपी को शपथपत्र दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई 19 अगस्त को होगी। साथ ही, पुनर्मतदान को लेकर भी हाईकोर्ट का फैसला आना बाकी है।
14 अगस्त को बेतालघाट ब्लॉक प्रमुख और उप प्रमुख चुनाव के दौरान गोलीबारी, मारपीट और अपहरण की कोशिशें सामने आई थीं। पुलिस-प्रशासन की मौजूदगी में खुलेआम हथियार लहराए गए। इस घटना के बाद निर्वाचन आयोग ने भवाली सीओ प्रमोद साह के खिलाफ विभागीय जांच और बेतालघाट थानाध्यक्ष अनीस अहमद के निलंबन की संस्तुति पहले ही कर दी थी।