पार्वतीपुरम, आंध्र प्रदेश: आंध्र प्रदेश के पार्वतीपुरम मन्यम जिले से एक दिल छू लेने वाली घटना सामने आई है। 20 साल पहले अपने परिवार से बिछड़े बुजुर्ग अप्पाराव आखिरकार अपनी बेटी से मिल गए। इस भावुक मिलन में जिला कलेक्टर श्याम प्रसाद की अहम भूमिका रही।
ऐसे हुआ परिवार से बिछड़ाव
कोरापुट जिले के अलमंदा निवासी अप्पाराव 20 साल पहले रोजी-रोटी की तलाश में घर से निकले थे। चेन्नई में ट्रेन से उतरकर चाय पीने के दौरान उनकी ट्रेन छूट गई, जिससे वे भटक गए। हालात से मजबूर होकर उन्होंने एक किसान के यहां चरवाहे के रूप में काम करना शुरू कर दिया और अपने परिवार से संपर्क पूरी तरह खो बैठे।
सोशल मीडिया से जुड़ी परिवार की कड़ी
पिछले साल जनवरी में तमिलनाडु प्रशासन ने अप्पाराव की जानकारी जुटाई। उन्होंने बताया कि अप्पाराव मूल रूप से आंध्र प्रदेश के पार्वतीपुरम क्षेत्र के रहने वाले हैं। यह जानकारी सोशल मीडिया पर साझा की गई, जो तेजी से वायरल हो गई।
कलेक्टर की पहल से मिला परिवार
स्थानीय सोशल मीडिया और समाचार रिपोर्ट्स के आधार पर जिला कलेक्टर श्याम प्रसाद ने अप्पाराव के परिवार की खोज शुरू की। काफी खोजबीन के बाद उन्हें अप्पाराव की बेटी सयम्मा और दामाद का पता चला। सयम्मा ने अपने पिता की बचपन की तस्वीर दिखाकर उनकी पहचान की पुष्टि की। इसके बाद कलेक्टर श्याम प्रसाद ने अप्पाराव को पार्वतीपुरम बुलाकर उनकी बेटी से मिलवाया।
मिलन का भावुक पल
कलेक्ट्रेट परिसर में अप्पाराव को उनकी बेटी सयम्मा और दामाद को सौंपा गया। इस भावुक मिलन के दौरान अप्पाराव के पूर्व नियोक्ता ने उन्हें 2 लाख रुपये की सहायता राशि दी, जबकि सरकार की ओर से 1 लाख रुपये की अतिरिक्त सहायता प्रदान की गई। कुल 3 लाख रुपये की राशि परिवार को सौंप दी गई।
मिला सरकारी सहायता का आश्वासन
कलेक्टर ने अप्पाराव को आधार कार्ड, राशन कार्ड और एक घर देने का आश्वासन दिया। 20 साल बाद पिता से मिलकर सयम्मा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। यह कहानी बताती है कि अगर प्रशासन और समाज मिलकर प्रयास करें, तो खोए हुए रिश्ते भी दोबारा जुड़ सकते हैं।