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उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध मेलों में शुमार ऐतिहासिक चैती मेले का दो साल से रूप ही बदल गया है. इसके पीछे का कारण ये है कि जब से मेले की जिम्मेदारी सरकार को सौंपी गई है, तब से महंगे टेंडर की बजह से चैती मेला आधा हो गया है. इस बर्ष भी चैती मेले का टेंडर साढ़े तीन करोड़ रुपये से ऊपर का बताया गया है, जिसकी वजह से ठेकेदारो और दुकानदारों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

दुकानदार दिलीप सक्सेना ने कहा कि प्रशासन द्वारा अव्यवस्थाओं के बीच मेले को लगाया गया है. नक्शे के मुताबिक दुकानों और रास्तों की व्यवस्था होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नगर प्रशासन द्वारा नहीं किया गया है, जिसका जिक्र टेंडर की नियमावली के सीरियल नंबर 26, 27 में किया गया था. उन्होंने कहा कि इसके संबंध में उन्होंने माननीय न्यायालय में भी याचिका दायर की थी और काशीपुर के उपजिलाधिकारी को इस संबंध में जांच के आदेश दिए गए।

दिलीप सक्सेना ने कहा कि बीते मंगलवार को उपजिलाधिकारी अभय प्रताप सिंह की मौजूदगी में लेखपाल द्वारा जांच के नाम पर खाना पूर्ति की गई है. साथ ही दुकानदारों को महंगी दुकानों के कारण लाखों रुपये का किराया निकालना मुश्किल हो रहा है. उन्होंने कहा कि जब से चैती मेला सरकार के आधीन हुआ है, तब से मेले की दशा खराब हो गई है और आने वाले दिनों मे चैती मेले का प्रभुत्व समाप्त होता नजर आ रहा है.

बता दें, पिछले कई वर्षों से चैत्र मास की प्रथम नवरात्रि से काशीपुर के मां बाल सुंदरी देवी के मंदिर में चैती मेले का आयोजन होता आया है. ऐतिहासिक चैती मेले का पूरे विधि विधान और ध्वजारोहण के साथ शुभारंभ हो गया है. यह मेला 1 महीने तक चलता है।

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