फर्जी शैक्षणिक प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी हासिल करने वाले एक शिक्षक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी शिक्षक को शिक्षा विभाग ने चार महीने पहले बर्खास्त कर दिया था। पुलिस ने रुड़की से उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। जांच में उसका इंटरमीडिएट प्रमाणपत्र फर्जी पाया गया।
मुख्य शिक्षाधिकारी (सीईओ) धर्म सिंह रावत ने 8 जनवरी 2025 को गोपेश्वर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि शिव कुमार सैनी ने फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर शिक्षक की नौकरी पाई थी। आरोपी राजकीय प्राथमिक विद्यालय मेहलचौरी, गैरसैंण ब्लॉक में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात था। पुलिस ने तहरीर के आधार पर विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया।
रुड़की से हुआ गिरफ्तार
एसपी सर्वेश पंवार के निर्देश पर आरोपी की गिरफ्तारी के लिए टीम गठित की गई। पुलिस को जानकारी मिली कि शिव कुमार गंगनहर, रुड़की क्षेत्र में रह रहा है। 5 फरवरी को पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। थानाध्यक्ष गोपेश्वर कुलदीप सिंह ने बताया कि आरोपी की फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर मिली नौकरी के दौरान अर्जित संपत्ति की भी जांच की जा रही है।
16 वर्षों तक फर्जी प्रमाणपत्रों के सहारे नौकरी
57 वर्षीय शिव कुमार सैनी, निवासी शिवपुरम, पनियाला रोड, कोतवाली गंगनहर, जिला हरिद्वार, वर्ष 2008 में प्राथमिक शिक्षक के पद पर नियुक्त हुआ था। वह 16 वर्षों तक चमोली जिले में नौकरी करता रहा, लेकिन इतने वर्षों में उसके शैक्षणिक प्रमाणपत्रों की जांच नहीं हुई। जब वह सेवानिवृत्ति से मात्र तीन साल दूर था, तब जाकर उसका सत्यापन हुआ और फर्जीवाड़ा सामने आया।
फर्जी 12वीं प्रमाणपत्र से ग्रेजुएशन और बीएड
शिक्षा विभाग द्वारा नवंबर 2024 में की गई जांच में यह खुलासा हुआ कि शिव कुमार का 1989 का इंटरमीडिएट प्रमाणपत्र फर्जी है। चूंकि इंटरमीडिएट प्रमाणपत्र फर्जी निकला, तो उसके आधार पर प्राप्त ग्रेजुएशन और बीएड की डिग्री भी अमान्य हो गई। इसके बाद नवंबर में उसे बर्खास्त कर दिया गया और जनवरी में उसके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई।
मुख्य शिक्षाधिकारी धर्म सिंह रावत ने कहा कि इस मामले में आगे की जांच जारी है और आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।