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उत्तर प्रदेश निर्माण निगम में करोड़ों के घोटाले का बड़ा मामला सामने आया है। विभागीय जांच में खुलासा हुआ है कि पूर्व अधिकारियों ने अलग-अलग निर्माण कार्यों के नाम पर 130 करोड़ रुपये का गबन किया। इनमें से कुछ अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जबकि एक को बर्खास्त किया जा चुका है। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ छह मुकदमे दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम के अपर परियोजना प्रबंधक की शिकायत पर नेहरू कॉलोनी थाने में छह मामले दर्ज किए गए हैं। ये घोटाला आईटीआई भवन, दून अस्पताल की ओपीडी, आपदा राहत केंद्र और अन्य निर्माण कार्यों के दौरान किया गया।

(एसएसपी अजय सिंह)

“गबन का यह मामला 2018-19 से पहले का है। जांच के बाद विभिन्न परियोजनाओं में अनियमितताएं पाई गईं। छह मुकदमे दर्ज कर लिए गए हैं, और आगे की जांच जारी है।”

पहले मामले में आईटीआई भवन निर्माण में 6 करोड़ रुपये के गबन का आरोप है। आरोपी – तत्कालीन महाप्रबंधक शिव आसरे शर्मा, परियोजना प्रबंधक प्रदीप कुमार शर्मा, और लेखाधिकारी वीरेंद्र कुमार रवि हैं।

दूसरे मामले में आपदा राहत केंद्र निर्माण में 4.28 करोड़ रुपये की हेराफेरी के आरोप में प्रदीप कुमार शर्मा और वीरेंद्र कुमार रवि के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ।

तीसरे मामले में पर्यटन विभाग भवन निर्माण में 1.5 करोड़ रुपये के गबन का आरोप शिव आसरे शर्मा, प्रदीप कुमार शर्मा और सहायक लेखाधिकारी राम प्रकाश गुप्ता पर है।

चौथे मुकदमे में 100 करोड़ रुपये की हेराफेरी के आरोप में शिव आसरे शर्मा, प्रदीप कुमार शर्मा, राम प्रकाश गुप्ता और वीरेंद्र कुमार रवि शामिल हैं।

पांचवें मुकदमे में दून अस्पताल की ओपीडी भवन निर्माण में 10 करोड़ के गबन का आरोप तत्कालीन स्थानिक अभियंता सतीश कुमार उपाध्याय पर लगा है, छठे मुकदमे में 5.5 करोड़ रुपये के गबन का आरोप प्रदीप कुमार शर्मा पर है।

पीड़ित विभागीय अधिकारी:-

“हमने जब अनियमितताओं की जांच की, तो करोड़ों की हेराफेरी सामने आई। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।”

अब देखना होगा कि पुलिस की जांच में क्या निकलकर आता है और क्या दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो पाएगी। फिलहाल, इस घोटाले ने सरकारी निर्माण कार्यों की पारदर्शिता पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।

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